हाजीपुर.
जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग से ग्रसित जिले के 17 बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान,पटना के लिए रवाना किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर शुरू की गई मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना बिहार में दिल में छेद जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क हृदय उपचार और सर्जरी की सुविधा दी जा रही है. मेरा बच्चा मासूम है, उसके हृदय में छेद है, मेरे पास इतने पैसे कहां हैं, जो इसका इलाज करा पाऊंगी, ऐसे लाचार शब्द अब वैशाली में बीते दिनों की बात हो गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर शुरू की गई दिल के मरीज बच्चों को मुफ्त इलाज का तोहफा या जीवन दिया है, बल्कि कई टूटते घरों को फिर से संजीवनी दी है. इस संबंध में सिविल सर्जन डा. श्यामनंदन प्रसाद द्वारा बताया गया के राज्य सरकार की इस योजना के तहत वैशाली जिला में हृदय रोग से पीड़ित 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क उपचार और शल्य चिकित्सा कराई जाती है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 43 बच्चों का सफल आपरेशन हो चुका है. अब ये बच्चे सामान्य जीवन जी रहे हैं और उनके घरों में एक बार फिर से खुशियां लौट आई हैं.जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डा. कुमार मनोज ने बताया मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत वर्ष 2021 से अब तक 131 बच्चों का सफल आपरेशन विभिन्न अस्पतालों में कराया जा चुका है. योजना की शुरुआत 5 जनवरी 2021 को सात निश्चय पार्ट 2 के तहत की गई थी.
स्पेशल सेंटर और हेल्थ कैंप का भी लाभ
पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को विशेष केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. अब तक राज्य में 12 स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें हजारों बच्चों की स्क्रीनिंग की गई.हर पहलू का खर्च उठाती है सरकार
इस योजना के तहत बच्चों की शुरुआती जांच, यात्रा खर्च, अस्पताल में भर्ती से लेकर आपरेशन तक का पूरा खर्च बिहार सरकार वहन करती है. एक अध्ययन के मुताबिक हर एक हजार नवजात में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित होते हैं, जिनमें से 25 प्रतिशत को पहले वर्ष में सर्जरी की जरूरत पड़ती है.जिला स्वास्थ्य समिति, वैशाली से बाल हृदय योजना अंतर्गत आइजीआइसी पटना में कैंप -12 में शामिल होने के लिए 17 बच्चों को अभिभावकों के साथ 102 एंबुलेंस से बुधवार को रवाना किया गया. कैंप में बीमारी की पुष्टि होने के उपरांत ही बच्चों को सर्जरी के लिए भेजा जायेगा. इस मौके पर डीइआईसी प्रबंधक सह समन्वयक आरबीएसके डा. शाइस्ता, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी ऋतुराज, फार्मासिस्ट अभिषेक कुमार और नवीन कुमार उपस्थित थे. जबकि आईजीआईसी पटना मे फार्मासिस्ट राजीव कुमार और शशिकांत कुमार उपस्थित होकर बच्चों और अस्पताल संस्थान के साथ समन्वय स्थापित करेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है