वैशाली.
बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन मंगलवार, 29 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर सारी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी गई है. समारोह में चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया, सहित लगभग 15 देशों से हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं के आने की संभावना है. भिक्षुओं ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर वैशाली के कई होटलों व मॉनेस्ट्री में बुकिंग भी करानी शुरू कर दी है. थाई मंदिर के व्यस्थापक रवि भंते ने बताया कि थाईलैंड के लगभग 100 बौद्ध भिक्षुओं ने थाई मंदिर मे ठहरने के लिए 26 जुलाई से लेकर 29 जुलाई तक की बुकिंग करायी है. इसके साथ ही वैशाली के कई होटलों मे भी ठहरने के लिए बुकिंग की जा रही है.वैशाली को पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास अब हो रहा सफल
भगवान बुद्ध की कर्मभूमि, भगवान महावीर की जन्मभूमि, आम्रपाली की रंग भूमि एवं लोकतंत्र की जननी वैशाली को पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करने के लिए किया जा रहा प्रयास अब सफल दिख रहा है. इस महत्वाकांक्षी योजना की निगरानी स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे थे. वे लगातार यहां चल रहे निर्माण का जायजा लेते रहे.फरवरी 2019 में हुआ था शिलान्यास
संग्रहालय का शिलान्यास एवं कार्यारम्भ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 19 फरवरी 2019 को किया गया था. बिहार सरकार द्वारा अधिग्रहित 72 एकड़ जमीन पर भवन निर्माण विभाग द्वारा बनाये गए बौद्ध दर्शन संग्रहालय में मेडिटेशन सेंटर, लाइब्रेरी, विजिटर हॉल व गेस्ट हाउस बन कर तैयार है. भगवान बुद्ध का अस्थि कलश रखने के लिए भव्य स्तूप का भी निर्माण किया गया है. पूरे परिसर को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा 4300 वर्ग मीटर भूखंड पर राजस्थान से मंगवाए गए गुलाबी पत्थरों से किया गया है. पत्थरों से निर्मित पूरी संरचना में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार के चिपकाने वाले पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है. बुद्ध स्मृति स्तूप की कुल ऊंचाई 33 मीटर है. इसका आंतरिक व्यास 38 मीटर और बाहरी व्यास 50 मीटर है.बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप के बन जाने के बाद यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे. यहां के संग्रहालय में गौतम बुद्ध से संबंधित रोचक घटनाओं और धम्म से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया जायेगा. निर्माण कार्य एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया की लगभग 550 करोड़ रुपये से बुद्ध समयक दर्शन संग्रहालय बना है. यहां पार्किंग व कैफेटेरिया की भी व्यवस्था है. हाजीपुर-मुजफ्फरपुर मुख्य मार्ग से उतर की ओर से इसका मुख्य द्वार बनाया गया है, जहां भगवान बुद्ध की एक मूर्ति स्थापित होगी. अंदर प्रवेश करने पर दोनों किनारे दो म्यूजियम बने हैं. उसके बाद पर्यटक मुख्य संग्रहालय तक आएंगे. मुख्य संग्रहालय में एक साथ दो हजार पर्यटक दर्शन कर सकेंगे. प्रवेश के लिए चार द्वार के साथ साथ रैम्प भी बनाया गया है. साढ़े चार करोड़ की राशि से पथ निर्माण विभाग द्वारा बौद्ध समयक दर्शन संग्रहालय जाने के मुख्य मार्ग का निर्माण किया गया है.
खुदाई में मिला था भगवान बुद्ध का अस्थि कलश
केपी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक अनंत सदाशिव अलकेटर की अगुआई में 1958 में खुदाई के अंतर्गत फाहियान एवं व्हेनसंग के यात्रा वृतांत में वर्णित तथ्यों के आधार पर भगवान बुद्ध के अस्थि कलश की प्राप्ति हुई थी. इसे 1958 से 1972 तक वैशाली के निजी संग्रहालय में रखा गया था. बाद में सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस अनमोल धरोहर को पटना में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है. इसे देखने काफी संख्या में थाइलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, जापान, कम्बोडिया आदि देशों के पर्यटक आते हैं. अस्थि कलश स्थापित होने के बाद पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है