लालगंज. मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में आम लोगों को हो रही परेशानी को लेकर महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के नाम का ज्ञापन गुरुवार को बीडीओ को सौंपा. सौंपे गये आवेदन में बताया कि बिहार में दो-तीन महीने में चुनाव होना है. भारत सरकार के श्रम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक यहां के दो करोड़ 90 लाख मतदाता अपनी रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश में रहकर मजदूरी कर रहे हैं. वैसे मतदाताओं के लिए एक माह में आवश्यक दस्तावेज जुटाना संभव नहीं है. 2003 के जिन चार करोड़ 96 लाख मतदाताओं को किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं देने की बात की जा रही है, उनमें से 22 वर्षों के अंदर एक करोड़ एक लाख के करीब मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है और लगभग 70 लाख मतदाता स्थाई रूप से दूसरे शहर में बस गये है. बताया गया कि जो मतदाता आज भी मालिक की जमीन, सड़क किनारे व सरकार की जमीन पर बसे हुए है, वह अपनी नागरिकता कैसे सिद्ध कर पायेंगे?
खेती के व्यस्त मौसम में किसानों को दस्तावेज जुटाने के उलझन में डाला जा रहा
नेताओं ने बताया कि आजादी के बाद आज तक मतदाताओं से नागरिकता के प्रमाण नहीं मांगे गये. जन्म-मृत्यु सभी तरह के दस्तावेज रखने की जवाबदेही सरकार की होती है. संदेह होने पर सरकार इसकी जांच पड़ताल करती है. फिर जुलाई जैसे खेती के इस व्यस्त मौसम में देश के नागरिकों को दस्तावेज जुटाने के उलझन में डाला जा रहा है. महागठबंधन के नेताओं ने आयोग से विशेष सघन मतदाता पुनरीक्षण का फैसला वापस लिए जाने, जनवरी 2025 में तैयार मतदाता सूची को सामान्य प्रक्रिया में अद्यतन कर बिहार विधानसभा चुनाव कराने की मांग की है. प्रतिनिधि मंडल में शामिल मंडल में भाकपा माले प्रखंड सचिव कॉमरेड राम पारस भारती, राजद प्रखंड अध्यक्ष पवनदेव यादव, लोकल कमेटी सचिव भिखारी सिंह, हरेंद्र राम, नटवर लाल सिंह, प्रेमा देवी आदि ने बीडीओ की अनुपस्थिति में प्रधान सहायक को आवेदन सौंपा.
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