पटेढी बेलसर. कृषि विभाग की ओर से अनुदानित दर पर उपलब्ध कराये गये मक्के के बीज किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण बन गये हैं. विभाग से बीज लेकर खेती करने वाले किसान अब माथा पीट रहे हैं. मेहनत व संसाधन लगाने के बावजूद मक्के की बालियों में दाना नहीं आया है. इससे आर्थिक नुकसान की आशंका है़ इस वजह से वे कृषि विभाग से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
बाजार से बीज खरीदने वालों की फसल अच्छी
मिश्रौलिया अफजलपुर पंचायत के अफजलपुर के किसान राजकिशोर सिंह और जय किशोर सिंह ने दो एकड़ जमीन में गरमा मक्के की खेती की थी. उन्होंने विभाग के पोर्टल पर आवेदन देकर बीज प्राप्त किया और विभाग के अधिकारियों-कर्मियों की देखरेख में मक्के की बुआई-सिंचाई व खाद-कीटनाशक आदि के प्रयोग पर हजारों रुपये खर्च किये. शुरुआत में प्रत्येक पौधे में तीन से चार बालियां आईं, जिससे किसानों को अच्छी उपज की उम्मीद थी. लेकिन, जब खेत में बालियां छीलकर देखा तो उनके होश उड़ गये. बालियों में एक भी दाना नहीं है. वहीं, दूसरी ओर, जिन किसानों ने बाजार से मक्का का बीज खरीदा था, उनकी फसल काफी अच्छी हुई है.
खराब बीज देने का आरोप
किसानों का कहना है कि कृषि विभाग द्वारा वितरित बीज या तो खराब था या फिर एक्सपायर था. आरोप है कि बीज आपूर्तिकर्ता कंपनियों और कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें खराब बीज उपलब्ध कराया गया, जिससे उनको आर्थिक क्षति उठानी पड़ी. किसानों का कहना है कि जब मक्का का बीज कृषि विभाग ने दिया और खेती विभाग की निगरानी में हुई, तो नुकसान की भरपाई भी विभाग को करनी चाहिए. उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच कर दोषी बीज कंपनी पर सख्त कार्रवाई हो और उन्हें बीज के कारण हुई फसल क्षति का मुआवजा दिया जाए. किसान संगठन मुद्रिका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक रजनीश कुमार जंग ने कहा की कृषि विभाग की ओर से वितरित मक्का बीज से बालियों में दाना नहीं आया है. ऐसे में विभाग को तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए पीड़ित किसानों को मुआवजा देना चाहिए और दोषी बीज कंपनी पर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में अन्य किसानों और अन्य फसलों में इस प्रकार की शिकायतें नहीं मिले.
जांच करायी जायेगी
मामले में प्रखंड कृषि पदाधिकारी बीरेंद्र पासवान ने बताया कि अब तक सरकारी बीज से उपजी मक्के की बालियों में दाना नहीं आने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. अधिकतर किसानों के मक्के की फसल इस बार अच्छी हुई है. यह मामला संभवत: अपवाद स्वरूप हो सकता है. फिर भी जांच करायी जायेगी.
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