वैशाली. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन 29 जुलाई मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. उद्घाटन समारोह में चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया सहित लगभग 15 देशों के बौद्ध भिक्षुओं के आने की संभावना है. उद्घाटन समारोह को लेकर प्रशासनिक तैयारियों जोर शोर से जारी है. हैलीपैड का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमे दर्जनों मजदूर इस काम को अंतिम रूप देने में लगे है. वही मुख्य द्वार से लेकर अभिषेक पुष्करणी के चारों ओर सड़क के दोनों किनारे साफ-सफाई की जा रही है. बिजली विभाग की ओर से बिजली व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है. वही जिला स्तर से संबंधित विभाग के पदाधिकारी कार्य का मॉनीटरिंग कर रहे हैं. स्थानीय लोगों में भी बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन को लेकर काफी उत्साह है.
होटलों व मोनेस्टरी में हो रही बुकिंग
मालूम हो कि कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर वैशाली के कई होटलों एवं यहां बने विदेशी मोनेस्टरी में अपनी बुकिंग शुरू कर दी है. थाई मंदिर के व्यवस्थापक रवि भंते ने बताया कि थाईलैंड के लगभग 100 बौद्ध भिक्षुओं ने थाई मंदिर में ठहरने को लेकर 26 जुलाई से लेकर 29 जुलाई तक की बुकिंग कराई है. वही वैशाली में बने श्रीलंका मंदिर, वियतनाम मंदिर, जापानी मंदिर, कम्बोडिया आदि मंदिरों में भी बौद्ध भिक्षु बुकिंग करा रहे हैं. इसके साथ ही वैशाली के कई होटलों में भी बौद्ध भिक्षुओं को ठहरने को लेकर बुकिंग की जा रही है. भगवान बुद्ध की कर्मभूमि, भगवान महावीर की जन्मभूमि, आम्रपाली की रंग भूमि एवं लोकतंत्र की जननी वैशाली को पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करने के लिए किया जा रहा प्रयास अब सफल होता दिख रहा है.संग्रहालय का शिलान्यास एवं कार्यारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 19 फरवरी 2019 को किया गया था. बिहार सरकार द्वारा अधिग्रहित 72 एकड़ जमीन पर भवन निर्माण विभाग द्वारा बनाए गये बौद्ध दर्शन संग्रहालय में मेडिटेशन सेंटर, लाइब्रेरी, विजिटर हॉल, गेस्ट हाउस बनकर तैयार है. वही भगवान बुद्ध की अस्थि कलश रखने के लिए भव्य स्तूप का भी निर्माण किया गया है. पूरे परिसर को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा 4300 वर्ग मीटर भूखंड पर राजस्थान से मंगवाए गए गुलाबी पत्थरों से किया गया है. पत्थरों से निर्मित पूरी संरचना में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार के चिपकाने वाले पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है. बुद्ध स्मृति स्तूप की कुल ऊंचाई 33 मीटर है. इसका आंतरिक व्यास 38 मीटर और बाहरी व्यास 50 मीटर है.
बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप के बन जाने के बाद यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे. प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया की लगभग 550 करोड़ रुपये की लागत से बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय बना है. साथ ही गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था, कैफेटेरिया के साथ-साथ पूरे परिसर को व्यवस्थित रूप से बनाया गया है.खुदाई में मिला था भगवान बुद्ध का अस्थि कलश
केपी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक अनंत सदाशिव अलकेटर की अगुआई में 1958 में पुरातत्विक खुदाई के अंतर्गत फाहियान एवं व्हेनसांग के यात्रा वृतांत में वर्णित तथ्यों के आधार पर वर्तमान में स्थित बौद्ध स्तूप के अंदर भगवान बुद्ध के अस्थि कलश की प्राप्ति हुई थी. 1958 से 1972 तक वैशाली के निजी संग्रहालय में रखा गया था. बाद में सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस अनमोल धरोहर को पटना में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है. इसे देखने काफी संख्या में थाइलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, जापान, कम्बोडिया आदि देशों के पर्यटक आते है. भगवान बुद्ध की अस्थि कलश स्थापित होने के बाद वैशाली भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा और यहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. स्थानीय लोगो में भी उद्घाटन को लेकर काफी उत्साह का माहौल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है