वैशाली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 29 जुलाई को बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के उद्घाटन के साथ ऐतिहासिक अभिषेक पुस्करणी के सौंदर्यीकरण के कार्य का भी शुभारंभ करेंगे. करीब तीस करोड़ रुपये की लागत से इस ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी के सौंदर्यीकरण का कार्य होना है. इसकी घोषणा इसी वर्ष आयोजित वैशाली महोत्सव में पर्यटन मंत्री राज कुमार सिंह ने की थी. मंत्री द्वारा इसी माह में पुष्करणी के समीप आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने कहा था की पर्यटन विभाग द्वारा दी गयी लगभग 30 करोड़ की राशि से इसी माह में अभिषेक पुष्करणी के सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारंभ करा दिया जायेगा. साथ ही बुद्ध स्तूप से लेकर पर्यटन विभाग द्वारा अधिग्रहित भूमि तक भी एक से दो माह में ही सौदर्यीकरण का कार्य कराया जायेगा.
मालूम हो कि ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी का अलग ही इतिहास है. इतिहासकारों के अनुसार यही वह मंगल अभिषेक पुष्करणी है, जहां लिच्छवी वंश और वज्जी संघ के सदस्यों को इसी के पवित्र जल से कर्तव्य निर्वहन का शपथ दिलाया गया था. इतना ही नहीं बौद्ध धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि लिच्छवी गणराज्य की प्रजा जब प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त थी, यहां महामारी फैली हुई थी. ऐसी परिस्थिति में भगवान बुद्ध ने लिच्छवियों के बुलावे पर वैशाली पहुंचकर एक कल्याणकारी सूत्र की रचना की एवं इसी पवित्र अभिषेक पुष्करणी से जल लेकर संपूर्ण वैशाली के क्षेत्रों में परिक्रमा किया एवं सूत्र पाठ किया था. इतिहास के पन्नों के अनुसार तत्कालीन भारत वर्ष के तमाम पवित्र नदियों से जल लाकर इसमें रखा गया था. इस पुष्करणी की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए लोहे के जाल से ढककर रखा जाता था. सन 1957-58 में के पी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक डॉ एएस अल्केतर ने वर्तमान पोखर की खुदाई अपनी निदेशन में करायी. इनके द्वारा प्रेषित उत्खनन प्रतिवेदन में इसकी लंबाई 1420 फिट और चौड़ाई 660 फिट थी. इस पुष्करणी के दक्षिण छोड़ पे विश्व शांति स्तूप है. वहीं इसके उत्तरी छोर पे रैलिक स्तूप एवं पुरातत्व संग्रहालय है. जिसे देखने काफी संख्या में यहां देशी एवं विदेशी पर्यटक आते हैं.
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