बिदुपुर. बिदुपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनाकर भले ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिणत कर दिया गया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं पीएचसी से भी बदतर हो गयी हैं. लोगों को यहां स्वास्थ्य सुविधा सही से मुहैया नहीं हो रही है जिससे बहुत सारे गरीब लोगों को महंगे प्राइवेट इलाज की ओर रुख करना पड़ रहा है. उन्हें आर्थिक और शारीरिक परेशानी हो रही है. इसका सबसे मुख्य कारण चिकित्सकों का अभाव है. 24 पंचायत वाले प्रखंड में तीन लाख से अधिक जनता के स्वास्थ्य का जिम्मा बिदुपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को है. यही नहीं हाजीपुर से महनार के लगभग 35 किलोमीटर के बीच में इकलौता अस्पताल होने के कारण दूसरे प्रखंड के रोगी भी रोज यहां इलाज के लिए आते रहते हैं. इसके कारण रोगी का बिना इलाज किये हुए ही रेफर करने की परंपरा शुरू हो गयी है. बताया गया कि रेफर करना अस्पताल की मजबूरी भी बन गयी है, क्योंकि ज्यादातर रोगियों को डील करने के लिए होम्योपैथी और आयुष चिकित्सक रहते हैं जिन्हें एलोपैथ की कोई समझ भी नहीं है. वे केवल अटेंड करके रेफर करने में लगे रहते हैं. हल्का हो या मेजर किसी भी तरह के दुर्घटना वाले मामले में रेफर होना ही है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के पीछे सरकार की मंशा थी कि यहां विशेषज्ञों की नियुक्ति कर गांव के लोगों को इतनी स्वास्थ्य सुविधा दी जाये, ताकि उन्हें हाजीपुर-पटना न जाना पड़े. इसके लिए सरकार ने करोड़ों रुपये लगाकर विशाल भवन बनवाया और उसमें करोड़ों रुपये लगाकर उपकरण खरीदा, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में यह सुविधा जनता को नहीं मिल पा रही है. बताया गया है कि विशेषज्ञ की क्या कहें सामान्य चिकित्सक भी नहीं है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रेखा कुमारी के अतिरिक्त एक महिला और एक पुरुष चिकित्सक की तैनाती यहां की गयी है जिसके कारण ओपीडी और नाइट शिफ्ट भी सही से नहीं हो पाता है. बिदुपुर सीएचसी में तैनात चिकित्सक डॉ आयुष राज भले ही शल्य चिकित्सा के विशेषज्ञ हैं, लेकिन उन्होंने आज तक एक भी सर्जरी नहीं की है. बिदुपुर सीएचसी में लगातार इलाज कराने वाले लोगों से बात करने से यह पता चला कि जेनरल फिजिशियन के अलावा हड्डी रोग विशेषज्ञ और बाल चिकित्सा विशेषज्ञ की तैनाती अत्यंत ही अनिवार्य है. अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी यहां चालू होनी चाहिए. लोगों ने बताया कि बेबी केयर की सुविधा नहीं होने के कारण अक्सर नवजात बच्चे की मौत अस्पताल में या रेफर होने के थोड़ी देर बाद हो जाती है जिसके कारण परिजन कभी- कभी अस्पताल में बवाल भी काटते रहते हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
चिकित्सक के सात पद सृजित हैं, जिनमें छह की पदस्थापना हो चुकी है. पदस्थापित में चार चिकित्सकों को दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है जिससे काफी परेशानी होती है. ड्रेसर और कंपाउंडर एक भी नहीं है.प्रकाश कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक
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