हाजीपुर.
देवचंद महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर “प्रेमचंद की प्रासंगिकता ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार ने की. उन्होंने प्रेमचंद को भारतीय साहित्य का यथार्थवादी लेखक बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं आज भी समाज के हर वर्ग को प्रेरणा देती हैं. विचार गोष्ठी के संयोजक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य कालजीवी है और इसीलिए कालजयी है. उन्होंने समाज में व्याप्त विषमता, निर्धनता, सांप्रदायिकता, स्त्री की स्थिति तथा स्वराज की अवधारणा को साहित्य के माध्यम से उजागर किया. उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ सुलतान अकबर खान ने कहा कि प्रेमचंद ने साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया. उनकी कहानियां आज भी दलित, शोषित और किसान वर्ग की सशक्त आवाज हैं. गणित विभाग के डॉ अमरेन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं केवल साहित्य नहीं, बल्कि समाज का सजीव दस्तावेज हैं. राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ सत्यप्रकाश कुमार ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की सामाजिक व्याख्या प्रस्तुत करता है. वहीं अर्थशास्त्र विभाग के प्रो आतिफ रब्बानी ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य न केवल हिंदी बल्कि विश्व साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रखता है. कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ जितेंद्र कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीना ने किया. कार्यक्रम में सभी विभागों के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी व छात्र-छात्राएं मौजूद थे.
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