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पुलिस जवानों को परोस रहीं घर जैसा स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन

महिला सशक्तिकरण की दिशा में बरहट प्रखंड की जीविका दीदियों ने एक अनुकरणीय पहल की है.

महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं 56 महिलाएं, रोजाना 900 जवानों को खिला रहीं खाना

बरहट. महिला सशक्तिकरण की दिशा में बरहट प्रखंड की जीविका दीदियों ने एक अनुकरणीय पहल की है. मलयपुर स्थित पुलिस लाइन केंद्र में प्रशिक्षु महिला एवं पुरुष पुलिस जवानों को अब जीविका समूह की महिलाएं घर जैसा स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रही हैं. नवाचार के तहत प्रतिदिन करीब 900 पुलिस जवानों को नाश्ता, चाय, दोपहर और रात का भोजन परोसा जा रहा है. इस काम में 56 जीविका दीदियां तीन शिफ्टों में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्यरत हैं.

नाश्ते से लेकर रात के खाने तक तीन शिफ्ट में दे रहीं सेवा

पहली शिफ्ट में नाश्ता, दूसरी में दोपहर का भोजन और तीसरी शिफ्ट में रात का भोजन तैयार किया जाता है. यह पहल न सिर्फ पुलिस जवानों को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन दे रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक संबल और आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर कर रही है.

जवानों को खाना खिलाना गर्व की बात : जिविका दीदियां

जीविका समूह से जुड़ी संध्या देवी, माया देवी, मंजु देवी, गीता कुमारी और रेखा देवी ने बताया कि पहले हम केवल घरेलू कामों तक सीमित थीं. लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद अब वे आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार और समाज के लिए उपयोगी बन चुकी हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलने के बाद अब वे पुलिस विभाग को भी घर जैसा स्वादिष्ट खाना परोस रही हैं, जो गर्व की बात है.

पुलिस जवानों ने की दीदियों के भोजन की सराहना

महिला सिपाही रितु कुमारी, सुनीता कुमारी और सोनाक्षी कुमारी ने बताया कि जीविका दीदियों का खाना बेहद स्वादिष्ट और घर जैसा लगता है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ कमियां थीं, लेकिन अब भोजन की गुणवत्ता में काफी सुधार हो गया है, और वे बेहद संतुष्ट हैं.

स्वरोजगार का नया मॉडल बना जीविका रसोई

बीपीएम धर्मेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि जीविका का उद्देश्य महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. पुलिस विभाग के साथ हुई यह संस्थागत साझेदारी ग्रामीण महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने का बेहतरीन माध्यम बनी है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जवानों को संतुलित और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है, जिसे जीविका दीदियां सफलता से पूरा कर रही हैं.

जिविका दीदियों के जीवन में आई खुशहाली

बरहट की यह पहल न केवल एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का उदाहरण है, बल्कि यह दिखाता है कि सही दिशा में प्रयास करने पर ग्रामीण महिलाएं भी बड़े स्तर पर बदलाव ला सकती हैं.

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