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उपलब्धियों से भरा रहा दिग्विजय सिंह का कार्यकाल, दूरदर्शी था व्यक्तित्व : सीएम

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व दिग्विजय सिंह की 15वीं पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को जमुई पहुंचे. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के नयागांव स्थित स्व दिग्विजय सिंह के समाधि स्थल पर पहुंचे व उन्हें श्रद्धांजलि दी.

जमुई. पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व दिग्विजय सिंह की 15वीं पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को जमुई पहुंचे. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के नयागांव स्थित स्व दिग्विजय सिंह के समाधि स्थल पर पहुंचे व उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दिग्विजय सिंह का व्यक्तित्व काफी दूरदर्शी था. उन्होंने भारत के लाखों युवाओं में आशा की एक नई किरण जगाई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी कर्मठता और दूरदर्शिता ने चुनौती को अवसर में बदलने में कारगर भूमिका निभाई. उनका केंद्रीय वित्त उप मंत्री, रेल राज्य मंत्री और विदेश राज्य मंत्री के रूप में कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा. सीएम ने कहा कि अपने कुशल नेतृत्व और आधुनिक सोच से देश को नई दिशा दी. उनका योगदान हमारे लिए प्रेरणास्रोत है और उनकी स्मृति हमारे दिलों में सदैव जीवित रहेगा. इस दौरान उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि दिवंगत दिग्विजय सिंह का जीवन, विचार और देश हित में किया गया कार्य आज भी प्रेरक है. उन्होंने कहा कि हमें उनके आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है. उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि दिग्विजय सिंह केवल व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार भी थे. एक ऐसा विचार जिसने जमुई के साथ बिहार और देश को तरक्की की राह पर दौड़ाने का काम किया. वे वैचारिक दृढ़ता, साहस और राष्ट्र निष्ठा के पर्याय थे. उन्होंने अपने आदर्श और विचार से कभी भी समझौता नहीं किया. उनका राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र जग जाहिर है. हर इंसान को इसे आत्मसात करना चाहिए. दिवंगत दिग्विजय सिंह के अधूरे सपनों को साकार करके ही हम उन्हें सच्ची भावांजलि दे सकते हैं.

इन लोगों ने अर्पित की श्रद्धांजलि

पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा के अलावे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह, पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हरि साहनी भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, बांका सांसद गिरधारी यादव, झाझा विधायक दामोदर रावत, तारापुर विधायक राजीव कुमार सिंह, दिग्विजय सिंह की पुत्री सह जमुई विधायक श्रेयसी सिंह, विधान पार्षद अजय कुमार सिंह, पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, दिग्विजय सिंह की पत्नी सह पूर्व बांका सांसद पुतुल देवी, जदयू जिलाध्यक्ष शैलेंद्र महतो, बीजेपी जिलाध्यक्ष दुर्गा प्रसाद केशरी, जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के उपाध्यक्ष कन्हैया कुमार सिंह, जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष ई. शंभू शरण, समाजसेवी भावानंद, भाजपा नेता विनोद यादव, राजद नेता राजेंद्र यादव सहित अन्य लोगों ने दादा को श्रद्धासुमन अर्पित किया.

सभा स्थल पर सुरक्षा के थे व्यापक इंतजाम

स्व दिग्विजय सिंह की 15वीं पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गये थे. दिग्विजय सिंह के पैतृक गांव गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के नयागांव में उनके समाधि स्थल पर तैयारी की गयी थी. सीएम के आगमन को लेकर हेलीपैड बनाया गया था. पूरे इलाके की बैरिकेडिंग करवायी गयी थी, जबकि हेलीपैड से लेकर समाधि स्थल तक जाने वाले रास्ते पर भारी संख्या में पुलिस पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया था. मुंगेर प्रमंडल आयुक्त अवनीश कुमार सिंह व पुलिस उप महानिरीक्षक राकेश कुमार खुद सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे थे. हेलीपैड से निकलकर मुख्यमंत्री सीधे समाधि स्थल पहुंचे, जहां उन्होंने स्व दिग्विजय सिंह को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया. इसके बाद सीएम पूर्व केंद्रीय मंत्री के पैतृक आवास पर भी गये, जहां से निकलकर वापस पटना के लिए रवाना हो गये.

लोगों ने कहा, सबके दिलों में आज भी बसते हैं दिग्विजय सिंह

स्व दिग्विजय सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने वालों में स्थानीय इलाके के लोग तो पहुंचे ही थे, इसके अलावा जमुई जिले के सभी प्रखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग समाधि स्थल पर जमा हुए थे. इसके साथ ही बांका, देवघर और बिहार-झारखंड के कई अन्य जिलों से भी लोग समाधि स्थल पर जमा हुए थे. लोगों ने कहा कि दिग्विजय सिंह का व्यक्तित्व इतना सरल था कि कोई भी उनका मुरीद हो जाता था. उनका यही व्यक्तित्व आज भी लोगों को याद आता है. भले ही आज उनकी मृत्यु को 15 साल हो गये, पर आज भी दिग्विजय सिंह की यादें हम सबके जेहन में जिंदा है. लोगों ने बताया कि दिग्विजय सिंह भले ही एक राजनेता थे और राज्य से लेकर केंद्र सरकारों में मंत्री रहे, पर उनका मृदुभाषी व्यवहार हमेशा उन्हें दूसरों से अलग बनाता था.

छात्र जीवन से ही कर ली थी राजनीति की शुरुआत

गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह का जन्म 14 नवंबर 1955 को गिद्धौर में हुआ था. उन्होंने कॉलेज के दिनों में ही राजनीति शुरू कर दी थी. पहली बार वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये थे. इनका राजनीतिक सफर वर्ष 1990 से प्रारंभ हुआ था जब इन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया था. इसके बाद वर्ष 1998 में पहली बार इन्होंने समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था और लोकसभा पहुंचे थे. वर्ष 1999 में भी इन्होंने बांका लोकसभा से चुनाव जीता था. 2004 में इन्हें बांका लोकसभा से पराजय का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2004 में इन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था. 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा देकर इन्होंने बांका से चुनाव लड़ा और आखिरी बार बांका लोकसभा से सांसद निर्वाचित हुए थे. इसके ठीक एक साल बाद 24 जून 2010 को लंदन में इनका निधन हो गया था. दिग्विजय सिंह को उनके जानने वाले प्यार से दादा के नाम से बुलाते थे. दिग्विजय सिंह ने बांका जिले में पहली बार रेल लाइन पहुंचाया था. इसके साथ ही खेल के क्षेत्र में भी दिग्विजय सिंह काफी सक्रिय रहे थे. दिग्विजय सिंह भारतीय राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे तथा ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे. इनकी अध्यक्षता में ही भारत ने ओलंपिक में निशानेबाजी में दो पदक हासिल किया था. दिग्विजय सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में कई मंत्रालय का भी पदभार संभाला था. वर्ष 1990 में केंद्रीय उप मंत्री, विदेश मंत्रालय तथा केंद्रीय उप मंत्री, वित्त मंत्रालय का जिम्मा दिया गया था. दिग्विजय सिंह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेल राज्य मंत्री, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री तथा केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री भी बनाए गये थे. दिग्विजय सिंह अपने व्यवहार के कारण लोगों के बीच खासे लोकप्रिय थे. दिग्विजय सिंह को संयुक्त राष्ट्र में कई बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेता बनाया गया था. फिदेल कास्त्रो, सद्दाम हुसैन, परवेज मुशर्रफ जैसे नेताओं से मिलने के लिए इन्हें भारत सरकार का विशेष दूत बनाकर भी भेजा गया था. दिग्विजय सिंह अपने कार्यकाल के दौरान कई समितियों के भी अध्यक्ष रहे.

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