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हैंडमेड राखी बनाना सीख कर हुनरमंद हो रहीं ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां

रक्षाबंधन आने वाला है और इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे सुरक्षा का वचन लेती है.

रक्षाबंधन से पहले राखी बनाना सीख रही लड़कियां, फैशन ज्वेलरी का भी सीखेंगी काम

जमुई. रक्षाबंधन आने वाला है और इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे सुरक्षा का वचन लेती है. लेकिन राखी को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर जमुई जिले के रहने वाली लड़कियां कुछ ऐसा कर रही हैं, जिससे वह अपना जीवन बदलने की कोशिश में लगी हुई है. यह लड़कियां आम लड़कियों की तरह घर में बैठने की बजाय खुद को बेहतर बनाने की कोशिश में लगी हुई है. दरअसल जमुई जिले के खैरा बाजार में प्रतिदिन लड़कियों को हैंडमेड राखी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इन लड़कियों के द्वारा दिन रात मेहनत कर राखी का निर्माण किया जा रहा है. धीरे-धीरे अब बाजार में हैंडमेड राखियों की डिमांड भी मिलने लगी है और दुकानों पर उनके हाथों से बनायी गयी राखियां बेचने के लिए भी रखी जाने लगी है. यह लड़कियां ग्रामीण इलाकों की है तथा हर रोज वह इसका प्रशिक्षण ले रही है.

ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां बन रहीं आत्मनिर्भर

दरअसल जमुई जिले के खैरा बाजार में कोमल गुप्ता के द्वारा इन लड़कियों को हैंडमेड राखी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. कोमल गुप्ता जन शिक्षा संस्थान से जुड़ी हुई है, तथा उन्होंने इससे पहले राखी बनाने की मास्टर ट्रेनिंग ली. इसके बाद वह ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों को इस काम में जोड़कर दिन-रात उन्हें प्रशिक्षित कर रही हैं. कोमल गुप्ता ने बताया कि उनके पास वर्तमान में डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा लड़कियां हैं. इनमें कई लड़कियां ऐसी हैं, जो पहले भी फैशन ज्वैलरी का काम करना चाहती थी. लेकिन किसी कारणवश वह अपने लक्ष्य की तरफ नहीं बढ़ सकी थी. कई लड़कियां ऐसी है जो शादीशुदा है, तो कई लड़कियां कॉलेज जाने वाली है. पर अलग-अलग क्षेत्र की रहने वाली यह लड़कियां हर रोज कोमल गुप्ता के पास पहुंचती है तथा उन्हें कोमल राखी बनाने की ट्रेनिंग दे रही है. कोमल गुप्ता इससे पहले भी लगातार लड़कियों को अलग-अलग चीज बनाने का प्रशिक्षण देते आ रही हैं. कोमल ने बताया कि तीन महीने तक इन लड़कियों को अलग-अलग हुनर सिखाया जाएगा. इसके पहले चरण में इन्हें राखी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. कोमल ने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए राखी की डिमांड बाजारों में भी होने लगी है. जमुई के कई दुकानों में उनके द्वारा बनाई गई राखियां बेचने के लिए रखी गई है. उन्होंने कहा कि एक राखी बनाने में करीब पांच से सात मिनट का समय लगता है, और उसे पैक कर बाजार तक पहुंचने में दिन-रात यह लड़कियां मेहनत कर रही हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इन्हें अलग-अलग तरह के फैशन ज्वेलरी बनाने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी. ऐसे में कोमल गुप्ता के इस प्रयास से ग्रामीण क्षेत्र के लड़कियों की जीवन में एक नयी रंगत आने लगी है.

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