ओम प्रकाश, सिकंदरा
मंजोष गांव में प्रचुर मात्रा में मिले लौह अयस्क भंडार के दोहन के लिए सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के उद्देश्य से जमीन की खरीद बिक्री पर दस माह पूर्व लगाए गए प्रतिबंध ने ग्रामीणों के पारंपरिक जीवन शैली पर संकट उत्पन्न कर दिया था. सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से मंजोष गांव के किसानों की अपनी ही जमीन उनके अरमानों की कब्रगाह बन गयी थी. कई बेटियों की शादी टूटी तो कई किसानों को अपने बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिजनों के इलाज तक के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ा. इतना ही नहीं जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगने के बाद महाजन छोटे किसानों को ब्याज पर रुपया देने से कन्नी काटने लगे थे. सरकार के एक निर्णय ने स्थानीय किसानों के सामाजिक-आर्थिक ताने बाने को छिन्न भिन्न कर दिया था. आखिरकार दस महीने बाद लौह अयस्क खनन की संभावनाओं को लेकर सरकार द्वारा लगाए गए जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक को हटा लिया गया है. सरकार के इस निर्णय से गांव के किसानों को बड़ी राहत मिली है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अनेक परिवार आर्थिक तंगी, बेटियों की अटकी शादियां, और बीमारियों में इलाज के अभाव जैसी गंभीर परिस्थितियों से जूझ रहे हैं.लौह अयस्क की खोज से शुरू हुआ मामला
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सिकंदरा प्रखंड के मंजोष गांव में लगभग 45 मिलियन टन मैग्नेटाइट लौह अयस्क का भंडार मिलने की पुष्टि हुई थी. साथ ही भट्टा गांव में भी 6 मिलियन टन लौह अयस्क होने की जानकारी सामने आई थी. खनन की दृष्टि से इसे एक बड़ी उपलब्धि मानते हुए राज्य सरकार ने योजना बनानी शुरू कर दी और 26 अप्रैल 2024 को खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह ने मंजोष गांव का दौरा कर वहां 85 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की बात कही. इस अधिग्रहण की जद में आने वाले घरों को विस्थापित करने की भी बात सामने आई. जिसके बाद अंचल कार्यालय ने अधिग्रहण के उद्देश्य से जमीन के सीमांकन का कार्य शुरू कर दिया. इस कार्य के विरोध में गांव में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन हुआ, लेकिन इसके बावजूद विभाग ने खनन ब्लॉक के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की और सितंबर 2024 में मंजोष गांव की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई.रोक के दुष्परिणाम: किसानों की टूटी कमर
रोक लगने के बाद गांव के कई किसान परिवारों पर आर्थिक संकट टूट पड़ा. जमीन बेचकर बेटी की शादी करने की तैयारी में लगे कई परिवारों की शादियां रुक गईं. वहीं कुछ परिवार इलाज के लिए पैसे ना होने के कारण इलाज नहीं करा सके.जिलाधिकारी व जनप्रतिनिधियों की पहल से मिली राहत
गांव की इस दुर्दशा को देखकर पूर्व पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव सिंह ने जिलाधिकारी नवीन कुमार से मुलाकात कर उन्हें पूरे हालात से अवगत कराया. इस बीच स्थानीय विधायक प्रफुल्ल मांझी व झाझा विधायक दामोदर रावत ने भी हस्तक्षेप किया और जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक को हटाने की मांग जिलाधिकारी से की. जिला बीस सूत्री की बैठक में भी इस मामले को उठाया गया. वहीं विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक प्रफुल्ल मांझी ने किसानों के साथ हो रहे अन्याय और उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को कुचलने वाले इस मुद्दे को सदन में उठाया. जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रशासनिक स्तर पर समीक्षा कराई और अंततः जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक हटा ली गई.अब भी है सरकार की कड़ी नजर
हालांकि जमीन कि खरीद बिक्री पर लगी यह रोक हटा दी गई है, लेकिन सरकार और प्रशासन की मंजोष और भट्टा गांव के जमीनों की खरीद बिक्री पर विशेष निगरानी रहेगी. बुधवार को पूर्व पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव सिंह व ग्रामीण प्रतोष कुमार ने जिला उप निबंधक विनीत कुमार से मुलाकात कर जमीन की खरीद बिक्री पर लगी रोक के खत्म होने के संबंध में जानकारी प्राप्त की. इस दौरान उप निबंधक ने जानकारी देते हुए बताया कि मंजोष और भट्टा गांव में जमीन की खरीद बिक्री पर लगी रोक को हटा लिया गया है, परंतु खनन क्षेत्र में भू-माफियाओं और बिचौलियों की घुसपैठ को रोकने के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. जमीन की निबंधन प्रक्रिया में हर दस्तावेज की जांच की जाएगी और संदिग्ध खरीद-बिक्री को रोका जाएगा. उन्होंने बताया कि निबंधन कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन निबंधन के पूर्व हर आवेदन की समीक्षा व सत्यापन जरूरी होगा. सरकार के इस निर्णय से ग्रामीणों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है. जद यू नेता सह पूर्व पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव सिंह, ग्रामीण प्रतोष कुमार, रामाशीष सिंह, प्रो. विद्यार्थी प्रसाद सिंह, मतीश चंद्र भाष्कर, श्यामनंदन सिंह, पवन कुमार आदि ने क्षेत्रीय विधायक प्रफुल्ल मांझी, झाझा विधायक दामोदर रावत व जिलाधिकारी श्री नवीन को बधाई दी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है