बरहट . प्रखंड क्षेत्र के गादी कटौना गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामधारी सिंह का मंगलवार देर रात 108 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन की खबर से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गयी. ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया. उनके बड़े पुत्र चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में मेरे पिता रामधारी सिंह ने महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से आंदोलन में कूद पड़े थे. अंग्रेजों के खिलाफ मलयपुर थाना में आगजनी कर उन्होंने ब्रिटिश शासन को खुली चुनौती दी थी. मुंगेर के खड़कपुर में ब्रिटिश अत्याचार के विरोध में जब उन्होंने अपने साथियों संग मोर्चा खोला, तो अंग्रेजी सेना ने उन्हें गोली मार दी. पैर में गोली लगने के बावजूद भी डटे रहे और जब बेहोश होकर गिर पड़े थे तब उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जेल से रिहा होने के बाद भी उन्होंने संघर्ष नहीं छोड़ा और गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करते रहे. ब्रिटिश सरकार ने उनको आत्मसमर्पण करने की धमकी दी, फिर भी वे कभी नहीं झुके और देश की आजादी के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे.
प्रशासनिक अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
स्वतंत्रता सेनानी के निधन की सूचना मिलते ही एसडीओ सौरभ कुमार, एसडीपीओ सतीश सुमन, बीडीओ एसके पांडेय, मलयपुर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर विकास कुमार, पंचायत मुखिया कपिलदेव प्रसाद, एसआई महेश सिंह व रामानुज सिंह उनके पैतृक आवास पहुंचे. सभी अधिकारियों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दी.आंजन नदी घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
रामधारी सिंह की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि शामिल हुए. आंजन नदी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनके बड़े पुत्र चंद्रशेखर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान रामधारी सिंह अमर रहे के नारों से वातावरण गूंज उठा. मौके पर उनके भाई मलेश्वरी सिंह, युवा समाजसेवी अभिनव सिंह सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है