जमुई. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को पुरानी बाजार स्थित जयशंकर नगर में सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया गया. योग शिक्षक शिवदानी प्रसाद, पर्यावरणविद सह योग शिक्षक राम बिलास शांडिल्य ने को योगाभ्यास व सूर्य नमस्कार के महत्व को समझाया. शिक्षक राम बिलास शांडिल्य ने कहा कि छठ व्रत बिहार का सबसे बड़ा पर्व है और उसमें किया जाने वाला साष्टांग दंडवत सूर्य नमस्कार का ही एक रूप है. उन्होंने बताया कि व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सूर्य इस सृष्टि के साक्षात देवता हैं, जिनके प्रकाश से जीवन संभव है. सूर्य की किरणों से ही पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण करते हैं. विज्ञान भी यह मानता है कि सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जबकि सूर्य स्वयं स्थिर रहते हैं. महर्षि पतंजलि के बताये अष्टांग योग में सूर्य नमस्कार को प्रमुख स्थान दिया गया है. उन्होंने सूर्य नमस्कार के सात प्रमुख आसन उर्ध्वासन, उत्तानासन, एक पाद प्रशरण आसन, द्विपाद प्रशरण आसन, साष्टांग प्रणाम, उर्ध्वमुख श्वान आसन, अधोमुख श्वान आसन का अभ्यास करवाया और इनके लाभों पर प्रकाश डाला. साथ ही कहा कि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक विकास होता है, यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. इस दौरान राधेश्याम मोदी, डॉ सुरेश भगत, प्रभु मोदी, महेंद्र बर्णवाल, रामचंद्र बर्णवाल, मनीष कुमार बर्णवाल, विमल प्रसाद बर्णवाल, आशीष कुमार बर्णवाल, पवन कुमार बर्णवाल, नवल कुमार साह, नवीन कुमार साह, अंकित कुमार पंडित, चंद्रकांत भगत, शिवम कुमार भगत सहित दर्जनों लोगों ने नियमित योगाभ्यास करने का संकल्प लिया.
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