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मूसलाधार बारिश से शहर जलमग्न, नप की व्यवस्था की खुली पोल

लोगों ने लगाया नालों की सफाई के नाम पर खानापूरी का आरोप

जमुई. शहर में गुरुवार की शाम हुई मूसलाधार बारिश के कारण कई मोहल्ले जलमग्न हो गये. इससे शहरवासियों समेत शहर में आने वाले अन्य लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा. यूं कहें कि नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. नगर परिषद द्वारा बरसात के पूर्व शहर के नालों की उड़ाही नहीं करने के कारण शहरवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बताते चलें कि नगर परिषद के 30 वार्डों के साफ सफाई को लेकर प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं, इसके बावजूद नगर परिषद के अधिकांश मोहल्ले में नाले के गंदा पानी जमा होना नगर परिषद के लापरवाही को दर्शाता है. शहर के पंचमंदिर के समीप स्थित दुकानदार संजीत कुमार, मोहन विश्वकर्मा, संतोष भगत, सुनील कुमार, मनिष राम, महाराजगंज मोहल्ला निवासी राजेश कुमार, रिंकू साव, राजेन्द्र प्रसाद, मुकेश कुमार, अशोक साव, विजय केशरी सहित अन्य लोगों ने बताया कि नगर परिषद ने बरसात के पूर्व यदि सभी नालों की सफाई करा दी होती, तो सड़क पर नालs का गंदा पानी जमा नहीं हो पाता. उन लोगों ने कहा कि नगरपरिषद के सफाई कर्मियों द्वारा ऊपर-ऊपर से नाला की सफाई कर खानापूर्ति की जाती है. इसका खमियाजा हमलोगों को भुगतना पड़ता है. महाराजगंज निवासी मोहन राव ने बताया कि बरसात के मौसम में गंदा पानी जमा रहने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है और लोग डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. शहर वासियों ने एक स्वर में नगरपरिषद के पदाधिकारियों को नगर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की अपील करते हुए आंदोलन करने की बात कही.

आवागमन में होती है परेशानी

बरसात में नगर परिषद क्षेत्र के शिवंडी, शांतिनगर, आजाद नगर, नीमा, पंचमंदिर के समीप, पाटलिपुत्र कॉलोनी, खैरा मोड़ महाराजगंज, मोहल्ले की स्थिति नारकीय बन जाती है. इन जगहों पर हल्की बारिश में भी नाले का पानी सड़क पर जमा हो जाता है. इससे मोहल्ले वासी सहित अन्य लोगों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

तीन एनजीओ के जिम्मे है शहर की साफ-सफाई

जमुई नगर परिषद के 30 वार्डों में बेहतर साफ सफाई का जिम्मा तीन एनजीओ को सौंपा गया है. इसमें मुंगेर जिले के दिव्यांग सेवा श्रम तथा महिला निकेतन माधोपुर शामिल हैं. इन एनजीओ को प्रतिमाह शहर की साफ सफाई को लेकर नगर परिषद द्वारा लगभग 45 लाख रुपये का भुगतान दिया जाता है. इसके बावजूद शहर की साफ-सफाई भगवान भरोसे दिखती है. एनजीओ साफ-सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर लाखों रुपये ले रहा है. सूत्रों पर भरोसा करें तो एनजीओ द्वारा कमीशन के रूप में मोटी रकम नगर परिषद के पदाधिकारी और अध्यक्ष को दी जाती है. इसलिए काम में लापरवाही बरतने पर भी एनजीओ पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

कहते हैं उपाध्यक्ष

नगर परिषद के उपाध्यक्ष नीतीश कुमार ने बताया कि जमुई नप के पदाधिकारी और अध्यक्ष आपसी वाद-विवाद में उलझे हैं. इस कारण साफ-सफाई से लेकर शहर का विकास कार्य ठप पड़ा है. उन्होंने बताया कि आपसी वाद-विवाद में शहर की साफ-सफाई और विकास कार्य ठप करना अनुचित है.

कहते हैं नप अध्यक्ष

नप अध्यक्ष मो हलीम उर्फ लोलो ने बताया कि शहर में प्रतिदिन साफ-सफाई और कचरे का उठाव किया जा रहा है. बरसात के पहले शहर के नालाें की उड़ाही का कार्य पूरा नहीं हो सका है. इसलिए परेशानी हो रही है. इस समस्या का भी निदान किया जा रहा है.

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