जहानाबाद. आम आदमी के लिए इन दिनों घर बनाना और भी मुश्किल हो गया है. बालू की कीमत में आए उछाल से मकान निर्माण में लगा माध्यमवर्गीय तबका परेशान है. पिछले डेढ़ महीने में बालू की कीमत करीब डेढ़ गुनी से अधिक महंगी हो गई है. मई और जून के पहले सप्ताह में जहां 100 सीएफटी यानी एक ट्रैक्टर बालू की कीमत 2800 से 3000 रुपए प्रति 100 सीएफटी थी वही आज एक ट्रैक्टर बालू की कीमत 4500 रुपए तक चली गई है. ज्ञात हो कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर बरसात के महीने में 15 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू का उत्खनन बंद कर दिया जाता है. इसकी जगह 15 जून के पहले तक नदियों से डंप किया गया बालू इन चार महीनो में बेचा जाता है. नदियों से बालू की खुदाई 15 जून से आगामी 15 अक्टूबर तक बंद रहेगी ऐसे में 15 अक्टूबर से पहले बालू की कीमत में गिरावट आने की उम्मीद नहीं है, बल्कि बाढ़ आने पर उसकी कीमत में और भी इजाफा हो सकता है.
बालू की कीमत में क्यों आया उछाल
चार महीने स्टॉक बालू की होगी बिक्री
एनजीटी के निर्देश पर चार महीने तक नदी से बालू की खुदाई नहीं होने पर सरकार द्वारा ठेकेदारों को स्टॉक बालू की बिक्री का आदेश दिया जाता है. इस साल भी खनन विभाग ने इन चार महीनों में स्टॉक बालू की ही बिक्री का निर्देश दिया है. बिहार के विभिन्न नदी में घाटों से बालू उठाव का टेंडर लेने वाले ठेकेदारों ने पिछले 14 जून तक नदी से बालू निकालकर उसे स्टॉक कर लिया था. 15 जून से इस स्टॉक के बालू की बिक्री की जा रही है. इसी कारण बाजार में बालू की कीमत बढ़ गई है.
स्टॉक बालू की मनमानी कीमत वसूलते हैं ठेकेदारइन महीनो में बढ़ जाता है अवैध उत्खनन
एनजीटी के निर्देश पर 15 जून से 15 अक्टूबर के बीच नदियों से बालू का उत्खनन बंद होने पर डंप किये गये स्टॉक बालू की कीमत तो बढ़ ही जाती है.
बालू की कीमत में बढ़ोतरी के साथ-साथ जिले के विभिन्न नदियों में अवैध उत्खनन भी बढ़ जाता है. बालू माफिया और आपराधिक चरित्र के व्यक्ति जिले के विभिन्न नदी घाटों से खुलेआम अवैध रूप से बालू का उत्खनन कर उसे मनमानी कीमत पर बेचते हैं. बाजार में बालू की कीमत बढ़ जाने पर ऐसे लोगों को जो अवैध रूप से नदी से सरकारी बालू का उत्खनन कर उसे बाजार में बेचते हैं, उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. जब सरकारी स्तर पर बंदोबस्त वाले नदी घाटों से उत्खनन होता है और बालू की कीमत कम रहती है तो अवैध रूप से उत्खनन किए गए बालों की कीमत भी बाजार में कम मिलती है. जब बालू का भाव बाजार में काफी बढ़ जाता है तो अवैध रूप से उत्खनन किये गये बालू भी महंगे दाम पर मिलता है. जब दाम ज्यादा मिलता है तो अवैध उत्खनन भी बढ़ जाता है.ऐसे में एक आम आदमी के लिए सपनों का एक घर बनाना अब सपना ही लगने लगता है. पाई-पाई जोड़ कर कोई आदमी अपने सपनों का एक छोटा सा घरौंदा बनाने के लिए जब निर्माण कार्य शुरू करता है तो उसके पहले सारी निर्माण सामग्रियों की कीमत समझ बूझ कर एक बजट बना लेता है और उसी बजट के अनुसार वह अपना मकान बनाने लगता है किंतु बीच में जब कीमत अप्रत्याशित ढंग से उछल जाती है तो किसी आम आदमी के लिए सपनों का घरौंदा बनाना मुश्किल हो जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी एनजीटी के निर्देश पर प्रत्येक साल बरसात में नदी से बालू का उत्खनन बंद कर दिया जाता है. इस साल भी 15 जून से आगामी 15 अक्तूबर तक नदी से बालू का उत्खनन बंद है. इस दौरान पहले से स्टॉक किये गये बालू की बिक्री की जा रही है. जहानाबाद जिले में केवल मखदुमपुर प्रखंड में दरधा नदी के एक प्वाइंट से बालू के उत्खनन का परमिशन है. इस घाट पर भी 15 अक्तूबर तक उत्खनन बंद रहेगा. मिथिलेश कुमार, खनन इंस्पेक्टर, जहानाबादडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है