Bihar News: कैमूर में सर्पदंश के मामले हर दिन आ रहे है. सांप कांटने के बाद लोग अस्पताल न जाकर झाड़-फूंक की चक्कर में पड़ रहे हैं. ऐसे में जिलेभर में पिछले दो माह में सांप काटने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. बड़ी बात यह रही है कि ये मौतें सांप काटने के बाद परिजनों के झाड़-फूंक के चक्कर में पड़े रहने के कारण हुई है. वहीं सदर अस्पताल स्थित इमरजेंसी डेटा पर गौर करें तो पिछले पांच मई से करीब हर दिन सांप या बिच्छू के काटने से पीड़ित लोगों का इलाज किया गया है. इसमें गंभीर हालत में रहे कई पीड़ितों को रेफर भी कर दिया गया है. वहीं कुछ मामलों में पीड़ित की मौत इलाज के पूर्व ही हो गयी है.
झाड़फूंक के चक्कर में तीन की हो चुकी है मौत
सर्पदंश के बाद इलाज की जगह झाड़- फूंक कराने के चक्कर में एक 42 वर्षीय युवक सहित दो महिलाओं की जान जा चुकी है. 22 मई को चांद थानाक्षेत्र के शिवरामपुर में पशुओं को चारा देने के दौरान इंद्रासन सिंह के बेटे उपेंद्र कुमार सिंह को किसी जहरीले सांप ने काट लिया. परिजन इलाज की जगह झाड़-फूंक कराने अमवा के सती माई स्थान ले गये. लेकिन, हालत नहीं सुधरा तो युवक को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. वहीं 26 जून को चैनपुर थानाक्षेत्र के करवंदिया गांव में फर्श पर सो रही 55 वर्षीय मुन्नी देवी, पति रामदहीन विंद को जहरीले सांप ने काट लिया. लेकिन, इलाज की जगह झाड़-फूंक कराने में महिला की जान चली गयी. इधर, 28 जून को चैनपुर थानाक्षेत्र के मदुरनी गांव में अपने दो पोतों के साथ चौकी पर सो रही स्व बलिराम राम की पत्नी कुमारी कुंवर के चेहरे पर करैत सांप ने काट लिया था. लेकिन, परिजन महिला को तत्काल इलाज के लिए स्वास्थ्य संस्थान लाने की जगह झाड़- फूंक कराने के लिए दूसरे गांव ले गये. लेकिन, झाड़-फूंक काम नहीं करने और इलाज में देरी होने की वजह से महिला की मौत हो गयी.
सांप काट ले तो झाड़-फूंक की जगह तुरंत पहुंचे अस्पताल
कैमूर जिला पशुपालन कार्यालय के कर्मी व जानकार नंदजी उपाध्याय के अनुसार सर्पदंश के बाद व्यक्ति को भागना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे रक्त का संचार बढ़ने से जहर तेजी से शरीर में फैलने लगता है. सांप काटने के बाद व्यक्ति को तत्काल बैठ जाना चाहिए और सर्पदंश के स्थान को पोटेशियम परमेगनेट या लाल दवा के पानी अथवा साबुन से खूब धोना चाहिए. इसके बाद सर्पदंश के स्थान से दो इंच ऊपर कपड़े की पट्टी या रस्सी कसकर बांध दें. पट्टी इतना टाइट भी नहीं बांधना चाहिए, जिससे खून का प्रवाह ही पूरी तरह बंद हो जाये. इसके तत्काल बाद उसे सदर अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. जहां एंटी स्नेक वेनम के अतिरिक्त सांस और दिल के सहायता संबंधी उपकरण उपलब्ध हो. इस मामले में झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ने से जान भी गंवानी पड़ सकती है.
झाड़-फूंक की बजाय इलाज की होती हैं जरूरत
नंदजी उपाध्याय ने बताया कि कोबरा आमतौर पर दिन में काटता है और इसके दंश वाले स्थान पर सूजन आ जाता है और काटे गये स्थान पर असहनीय दर्द होता है. जबकि, इसके विपरीत करैत सांप रात को काटता है और इसके काटने वाले स्थान पर सूजन नहीं होता. जिसके चलते लोग मच्छर, कीड़े आदि काटने की बात मानकर बेपरवाह हो जाते हैं और जब तक सांप के काटने का एहसास होता है, तब तक मरीज की हालत काफी बिगड़ जाती है.
झाड़-फूंक की जगह तत्काल इलाज की जरूरत
सीएस डॉ चंदेश्वरी रजक ने बताया कि बरसात के दिनों में सर्प, बिच्छू आदि से बचाव करने की आवश्यकता है. सर्पदंश की स्थिति में झाड़-फूंक करवाने की जगह तत्काल मरीज को अस्पताल पहुंचायें, ताकि समय पर इलाज कर उसकी जान बचाई जा सके. इस समय सदर अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंटी सीरम स्नेक वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.
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