गोगरी. केडीएस कॉलेज गोगरी में प्राचार्य डॉ दिवाकर प्रसाद की अध्यक्षता में तथा विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग के निर्देशन में ‘गुरु शिष्य परंपरा’ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इसके बाद मानवीय मूल्यों को स्थापित करने वाले कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम शुरु हुई. अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति का अंग रहा है, लेकिन हाल के समय में गुरु शिष्य के संबंधों में बहुत बदलाव आया है. आज आवश्यकता इस बात की है कि गुरु शिष्य परंपरा की प्राचीन संस्कृति को पुनर्जीवित किया जाय. बच्चों में अनुशासन का होना जरूरी है तभी यह परंपरा बरकरार रहेगी. विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग सह एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रोशन रवि ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा हिंदुस्तानी संस्कृति का बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर है. इस धरोहर को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सभ्य समाज की हर व्यक्ति को है, ताकि हमारा हिंदुस्तान विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ता रहे और मानवीय मूल्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता रहे. उन्होंने कहा कि ज्ञान एक ऐसी पूंजी है जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है, व्यक्तित्व निर्माण के लिए आवश्यक है तथा राष्ट्र के विकास में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. उन्होंने छात्रों के लिए आधुनिक समय में अनुसंधान और प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया. अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अनिल ठाकुर ने वैदिक काल और आधुनिक काल के शिक्षा प्रणाली पर चर्चा करते हुए यह कहा कि वैदिक काल की शिक्षा प्रणाली को आज के समय में अपनाने की आवश्यकता है. हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ पंकज कुमार ने कहा कि शिक्षा में भारतीय संस्कृति का समावेश करते हुए प्राचीन काल के गुरु शिष्य परंपरा को अनवरत जारी रखने की आवश्यकता है और उच्च शिक्षण गतिविधि में विद्यार्थियों की सक्रियता भी आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है. इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग डॉ वर्षा किरण, इतिहास विभाग के सहायक के प्राध्यापक डॉ किरण कुमारी, अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ कुमारी प्रियंका की सक्रिय भागीदारी रही. पुस्तकालय अध्यक्ष बबलू कुमार ने इस कार्यक्रम में सक्रियता से भाग लिया. छात्र संजीत कुमार और छात्रा साक्षी, मुस्कान ने भी गुरु शिष्य परंपरा विचार रखे.
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