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अनुमंडलीय अस्पताल गोगरी को मिला अत्याधुनिक सुविधा युक्त शव वाहन

अनुमंडलीय अस्पताल गोगरी को मिला अत्याधुनिक सुविधा युक्त शव वाहन

गोगरी. अनुमंडलीय अस्पताल गोगरी को शव वाहन मुहैया कराया गया है. शव वाहन मंगलवार की देर शाम अस्पताल पहुंची. अस्पताल के स्थापना काल से यहां कोई शव वाहन नहीं था. जिसको लेकर प्रभात खबर ने बीते 20 मई को शीर्षक अस्पताल में नहीं है. शव वाहन परिजनों का हो रहा आर्थिक दोहन को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था. जिस पर संज्ञान लेते हुए सीएस के पहल पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में एक शव वाहन को उपलब्ध कराया गया है. अस्पताल में शव वाहन मिलने से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चन्द्रप्रकाश ने प्रभात खबर को सराहनीय पहल के लिए धन्यवाद दिया है. यह अस्पताल का पहला शव वाहन है. गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में अब दो एम्बुलेंस और एक शव वाहन हो गया है. लगभग दो वर्ष होने के बाद भी नई एजेंसी द्वारा अनुमंडलीय अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था नहीं की गयी थी, जिससे अस्पताल में आने वाले किसी मरीज की मौत हो जाती तो उनके शव को घर तक पहुंचने में सबसे बड़ी परेशानी परिजनों को उठानी पड़ती थी, लेकिन अब यह परेशानी समाप्त हो गयी है. मंगलवार को नई एजेंसी द्वारा अनुमंडलीय अस्पताल को आधुनिक संसाधनों से लैस एक नया शव वाहन निर्गत करा दिया गया है. शव वाहन की खास बात यह है कि इस शव वाहन में डीप फ्रीजर लगे हुए हैं. जिससे कि शव को पूरी तरह से महफूज रखा जा सकता है. लंबी दूरी लंबे समय के लिए भी शव को ले जाने के लिए अब लोगों को किसी फ्रीजर या मर्चरी की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि इस एंबुलेंस में यह सभी संसाधन मौजूद है.

अस्पताल में सुविधा की है कमी

गोगरी के अनुमंडलीय अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. यहां अनुमंडलीय अस्पताल तो स्थापित कर दिये गये हैं, लेकिन व्यवस्था रेफरल अस्पताल जैसा ही आज भी बना हुआ है. हल्के से भी गंभीर मरीज को यहां से तुरंत रेफर कर दिया जाता है. चाहे वो सड़क दुर्घटना या फिर और किसी कारणवश में चोटिल हुआ हो, बहुत से लोग रेफर किए जाने पर रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रप्रकाश ने बताया कि अस्पतालों में सुविधाओं व सेवाओं को धीरे-धीरे बेहतर बनाया जा रहा है. ताकि, रोगियों का बेहतर इलाज हो सके.

परिजन के साथ होती थी बहस

शव वाहन की मांग वर्षों से लोगों द्वारा की जा रही थी. साथ ही शव वाहन के अभाव में मरीजों के परिजन और अस्पताल प्रबंधन के बीच आये दिन कहासुनी और झड़प हुआ करती थी. शव वाहन के नहीं रहने से शव को उनके घरों तक ले जाने में परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. निजी वाहन या भाड़े की गाड़ी लेनी पड़ती थी. इससे मृतक के परिजनों को अतिरिक्त खर्च भी वाहन पर करना पड़ता था. लेकिन वाहन उपलब्ध होने से इन समस्याओं का निदान स्वत: हो जाएगा. मौके पर मैनेजर पूजा कुमारी, बीसीएम नीतू कुमारी, आलोक कुमार आदि मौजूद थे.

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