-आग उगलती गर्मी से झुलस रही फसलों को मिला नया जीवन -धान की नर्सरी तैयार करने की सुस्त रफ्तार में आ गयी तेजी -झमाझमा बारिश जारी रही तो 25 जून से शुरू हो जाएगी धनरोपनी गोगरी. मानसून की पहली बारिश ने खेती-किसानी को बड़ी राहत दी है. आग उगलती गर्मी के कारण झुलस रही फसलों को नया जीवन मिला है. इतना ही नहीं सुस्त पड़ी धान की नर्सरी तैयार करने की रफ्तार में तेजी आ गयी है. इतना ही नहीं रोहिणी नक्षत्र में 25 या 26 मई को जिन किसानों ने धान का बीज बोया है, वे धनरोपनी की तैयारी को कमर कस रहे हैं. बारिश होने से खेत को तैयार करने में सहूलियत हो रही है. अब बारिश का शोर शुरू हुआ तो किसान बीज बोने में जुट गये हैं. खरीफ सीजन में 10 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होनी थी. इसके अलावा करीब पांच हजार हेक्टेयर में अरहर, मूंग, मेथी, उड़द, कूल्थी, सूर्यमुखी व अन्य फसलों की खेती होनी है. मक्का व सब्जियों को भी फायदा बारिश होने से खेतों में लगी मक्का और सब्जियों की फसलों को भी फायदा हुआ है. गौरैयाबथान के किसान सुधीर यादव, सुनील यादव, अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार कहते हैं कि हो रही बारिश से गर्मी के कारण झुलस रहे बिचड़ों में नयी जान आ आयी है. अब रोज-रोज सिंचाई नहीं करनी पड़ रही है. मिट्टी में नमी होने से किसान ट्रैक्टर से खेत की जुताई में जुट गये हैं. वैसे तीन से चार दिनों में धनरोपनी शुरू हो जाएगी. मध्यम अवधि के प्रभेद लगाने का उचित समय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी पदाधिकारी कहते हैं कि बारिश होने से खेत की मिट्टी में नमी आ गयी है. किसान मध्यम अवधि वाले प्रभेद के बिचड़ा तैयार कर सकते हैं. जिन किसानों के बिचड़े 21 से 25 दिन हो चुके हैं, वे रोपनी करने के लिए खेत तैयार कर सकते हैं. धान के प्रभेदों के तैयार किसान जिनके बिचड़े 21 से 22 दिन के हो चुके वे रोपनी करने के लिए खेत तैयार कर सकते हैं.
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