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मई माह में 227 नये टीबी मरीज किये गये चिह्नित

मंगलवार को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मिशन निदेशक ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ की प्रगति की समीक्षा की.

किशनगंज . टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने की दिशा में किशनगंज जिला एक-एक कदम मजबूती से बढ़ा रहा है. मंगलवार को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मिशन निदेशक ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ की प्रगति की समीक्षा की. डीएम विशाल राज की अध्यक्षता में यह बैठक आयोजित हुई, इसमें सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी, डीपीएम डॉ मुनाजिम, जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम सहित अन्य स्वास्थ्य पदाधिकारी शामिल थे.

जिले में जनवरी से मई तक 14,052 लोगों की जांच, 1022 मरीज हुए नोटिफाइड

बैठक के दौरान जिले की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. इसमें बताया गया कि जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच कुल 14,052 लोगों की टीबी जांच की गयी है. इनमें से 441 मरीज सरकारी स्रोत से तथा 581 मरीज निजी डॉक्टरों के माध्यम से नोटिफाइड हुए हैं. केवल मई माह में ही 227 नये मरीजों की पहचान हुई है (62 सरकारी, 165 प्राइवेट), जो यह दर्शाता है कि समुदाय स्तर पर टीबी की पहचान में उल्लेखनीय तेजी आयी है.

एचआइवी, डायबिटीज के भी केस मिले

जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच 780 नोटिफाइड मरीजों में से 20 एचआईवी पॉजिटिव, 32 डायबिटिक और 4 एंटी-डायबिटिक मरीजों की पहचान की गयी. यह स्पष्ट संकेत है कि टीबी के साथ सह-रुग्णताओं की पहचान और प्रबंधन को भी प्राथमिकता देना होगा.

680 मरीजों को मिलेगी पोषण सहायता

बैठक में बताया गया कि निश्चय पोषण योजना के तहत जिले को 25 लाख की राशि मिली है. कुल 944 पात्र मरीजों में से 680 के बैंक खाते वैलिडेट हो चुके हैं जिन्हें एक हजार रुपये प्रतिमाह की दर से पोषण सहायता राशि प्रदान की जायेगी. डीएम ने निर्देश दिया कि शेष मरीजों के खाते जल्द सत्यापित कर भुगतान सुनिश्चित किया जाये.

टीबी उन्मूलन में जन भागीदारी अनिवार्य : डीएम

जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि टीबी एक सामाजिक चुनौती है जिसे केवल सरकारी प्रयासों से समाप्त नहीं किया जा सकता. इसके लिए सामुदायिक भागीदारी, जनजागरूकता और समय पर जांच व इलाज आवश्यक है. आशा, आंगनबाड़ी, एनजीओ, स्कूल-कॉलेज और मीडिया की भूमिका इसमें अहम है.

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