किशनगंज. हर नागरिक को बेहतर और समय पर स्वास्थ्य सेवा मिलना न केवल उसका अधिकार है, बल्कि यह शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता भी है. इसी मूल भावना के साथ जिलाधिकारी विशाल राज ने शुक्रवार को स्वास्थ्य व्यवस्था की गहन समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी, सभी एमओआईसी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पीएसआई, पीरामल स्वास्थ्य, बीएचएम, बीसीएम समेत अन्य विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
बैठक में पूर्व के निर्देशों की प्रगति की समीक्षा के साथ आशा बहाली, एपीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की पारदर्शिता, टीबी उन्मूलन, एनसीडी स्क्रीनिंग, टेलीमेडिसिन, आयुष्मान कार्ड निर्माण, मातृ मृत्यु की समीक्षा और संस्थागत प्रसव की प्रगति जैसे अनेक अहम विषयों पर विस्तृत विमर्श हुआ.259 एचएससी होंगे पूर्ण रूप से क्रियाशील, सेवाएं गांव तक पहुंचेंगी
बैठक में जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिले के सभी 259 हेल्थ सब सेंटर को पूर्ण रूप से पंक्शल किया जाए. इन केंद्रों पर आवश्यक मानव संसाधन, दवाएं, जांच सुविधा और नियमित आउटरीच सेवाएं सुनिश्चित की जाएं ताकि दूरदराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा अपने गांव में ही मिल सके. उन्होंने कहा कि अगर एचएससी मजबूत होंगे, तो अस्पतालों का बोझ कम होगा और शुरुआती इलाज समय पर संभव होगा.साप्ताहिक समीक्षा और आशा चयन में तेजी
जिलाधिकारी ने सभी एमओआईसी को निर्देशित किया कि वे अपने प्रखंड में आशा फैसिलिटेटरों के साथ साप्ताहिक बैठक करें. इन बैठकों से न केवल कार्यों की निगरानी होगी, बल्कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य चुनौतियों की वास्तविक स्थिति सामने आएगी. साथ ही, जिन पंचायतों में आशा पद रिक्त हैं, वहां तुरंत चयन प्रक्रिया पूरी की जाए.डीएम ने दो टूक कहा कि आशा कर्मियों की संख्या और दक्षता ही ग्रामीण स्वास्थ्य बदलाव की असली कुंजी है. किसी भी पंचायत में खाली पद रहना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
नई एएनएम को मिली विशेष जिम्मेदारी – रोकें होम डिलीवरी
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि जिलाधिकारी ने हाल में पदस्थापित हुई नई एएनएम को प्रशिक्षण के साथ यह निर्देश दिया है कि वे होम डिलीवरी (गृह प्रसव) को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाएं. संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देना न केवल मातृत्व को सुरक्षित बनाता है बल्कि शिशु मृत्यु दर में भी प्रभावी कमी लाता है.जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि पंचायत स्तर पर ””””होम डिलीवरी मुक्त पंचायत”””” बनाने के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाए. इसमें विकास मित्र, स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस और जीविका की भागीदारी सुनिश्चित की जाए. बैठक में जन-जागरूकता, व्यवहार परिवर्तन और सेवा की पहुंच बढ़ाने की ठोस रणनीति तैयार की जाए.
एनसीडी स्क्रीनिंग हो व्यापक – हर व्यक्ति तक पहुंचे सुविधा
गैर संचारी रोग जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि की समय पर पहचान और प्रबंधन के लिए जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एनसीडी स्क्रीनिंग अभियान को तीव्रता से चलाया जाए. उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ बीमारी को रोकने का नहीं, बल्कि लोगों को समय रहते बचाने का अभियान है.जल्द पूरा हो टीबी मुक्त पंचायत का लक्ष्य – जिले को बने राज्य में अग्रणी
बैठक में टीबी उन्मूलन पर भी विशेष ध्यान दिया गया. जिलाधिकारी ने कहा कि जितनी जल्दी हम टीबी मुक्त पंचायत का लक्ष्य प्राप्त करेंगे, उतनी जल्दी हम राज्य में एक मॉडल जिला बनेंगे. उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहित किया कि वे टीबी मरीजों की पहचान, उपचार और पुनर्वास के हर पहलू में गंभीरता से काम करें.मातृ मृत्यु की समीक्षा और रोकथाम के निर्देश
बैठक में हाल में हुई मातृ मृत्यु के मामलों पर भी गंभीरता से चर्चा हुई. जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि इन मामलों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और इसके आधार पर भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए. उन्होंने कहा कि एक भी मातृ मृत्यु पूरे स्वास्थ्य तंत्र की असफलता मानी जानी चाहिए.स्वास्थ्य सेवा को जनांदोलन का रूप – भाव्या कार्यक्रम में जिला रहा प्रथम
जिला किशनगंज के भाव्या कार्यक्रम में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है. अब हमें स्वास्थ्य सेवा को जनांदोलन का रूप देना है, जहां हर नागरिक भागीदार हो, हर स्वास्थ्य कर्मी प्रेरक हो और हर पंचायत सजग प्रहरी बने.डीएम का दो टूक संदेश – जवाबदेही से ही बनेगा मजबूत तंत्र
बैठक के समापन पर जिलाधिकारी विशाल राज ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि यह सेवा है, सिर्फ नौकरी नहीं. इसमें लापरवाही की कोई जगह नहीं हो सकती. योजनाओं की सफलता ज़मीनी क्रियान्वयन से तय होगी, कागज़ी आंकड़ों से नहीं. उन्होंने सभी विभागों और साझेदार संस्थाओं से अपील की कि आंतरिक समन्वय, नियमित समीक्षा और जनसंवाद को आधार बनाकर एक ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था बनाएं, जो नज़ीर बने न कि नज़रअंदाज़ हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है