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महिलाओं को समूह से जोड़ने की कवायद

महिलाओं को समूह से जोड़ने की कवायद

किशनगंज. गरीब ग्रामीण व शहरी परिवार की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर लाभ ले सकते हैं. किशनगंज जिला में छूटे हुए ग्रामीण और शहरी परिवारों की महलाओं को जोड़ने के लिए समूह निर्माण करा रही है. इस प्रयास से छूटे हुए परिवार, समूह से जुड़कर आर्थिक प्रगति के विभिन्न लाभ ले सकती हैं. सातों प्रखंड में जीविका की सामुदायिक संसाधन सेवी एवं सामुदायिक उत्प्रेरक जीविका दीदियां, घर–घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं. जीविका किशनगंज के प्रभारी जिला परियोजना प्रबंधक सुफल कुमार झा ने बताया कि सातों प्रखंड में छूटे हुए परिवार को चिन्हित कर स्वयं सहायता समूह से उनका जुड़ाव किया जा रहा है. स्वयं सहायता समूह से सिर्फ महिला सदस्य का ही जुड़ाव किया जाता है. परिवार से सिर्फ एक महिला सदस्य, समूह से जुड़ सकती हैं. पहचान और स्थायी निवास के रूप में आधार कार्ड व राशन कार्ड देकर समूह से जुड़ा जा सकता है. 18 से 60 वर्ष उम्र की महिलाएं समूह से जुड़ सकती हैं. इस प्रयास में अब तक ग्रामीण क्षेत्र में 505 स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया गया है. जिसमें छूटे हुए पांच हजार से अधिक परिवारों को समूह से जोड़ा गया है. वहीं शहरी क्षेत्र में 46 स्वयं सहायता समूह बनाया गया है. जिससे लगभग 400 से अधिक छूटे हुए परिवार समूह से जुड़े हैं. जीविका के माध्यम से किशनगंज जिला के गरीब ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण के लिए कई सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. समूह से कम ब्याज दर पर ऋण लेकर, स्वरोजगार कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह के विभिन्न निधि से जीविका दीदियों को ऋण दिया जाता है. साथ ही बैंक से समूह का जुड़ाव कर ऋण दिया जाता है. आवश्यकता अनुसार जीविका दीदियां इसका इस्तेमाल अपने स्वरोजगार के लिए करती हैं. जीविका दीदियों के क्षमतावर्धन के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण भी आयोजित किए जाते हैं. जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक लगभग 20 हजार 37 स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया गया है. इन समूह से जुड़े 2 लाख 30 हजार से अधिक परिवार का क्षमतावर्धन कर उनके लिए जीविकोपार्जन का साधन, विकसित किये जा रहे हैं. वहीं शहरी क्षेत्रों में लगभग 1 हजार 29 स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया गया है. जिससे 11 हजार से अधिक परिवार का जुड़ाव हुआ है. इन सामुदायिक संगठनों के माध्यम से जीविका दीदियों को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

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