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जनसंख्या नियंत्रण व स्वस्थ समाज के निर्माण में परिवार नियोजन की भूमिका अहम

जनसंख्या नियंत्रण व स्वस्थ समाज के निर्माण में परिवार नियोजन की भूमिका अहम

किशनगंज. परिवार नियोजन केवल परिवार का आकार सीमित करने का माध्यम नहीं, बल्कि यह एक ऐसा सामाजिक निवेश है जो महिलाओं के स्वास्थ्य, बच्चों के पोषण और पूरे समाज के विकास में सहायक होता है. भारत जैसे देश में जहां जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, वहां प्रत्येक दंपती को यह अधिकार और विकल्प मिलना चाहिए कि वे अपनी संतान योजना को स्वयं नियंत्रित कर सकें और यह तभी संभव है जब उन्हें सही जानकारी और सुविधा मिले. इसी उद्देश्य से सदर अस्पताल किशनगंज में गुरूवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के सभी नौ प्रखंडों से चयनित 18 स्वास्थ्यकर्मियों ने भाग लिया. यह कार्यक्रम पीएसआई इंडिया के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने की.

जनसंख्या स्थिरीकरण ही सतत विकास का आधार

इस अवसर पर डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा की “परिवार नियोजन कार्यक्रम को केवल तकनीकी सेवा न मानकर एक सामाजिक जागरूकता अभियान के रूप में लें. यदि हम सभी स्वास्थ्य संस्थानों को ””””फैमिली प्लानिंग फ्रेंडली”””” बनाते हैं, तो मातृ-शिशु मृत्यु दर को घटाने और महिलाओं को सशक्त बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.प्रशिक्षकों ने समझाए स्थायी और अस्थायी गर्भनिरोधक साधनकार्यशाला में डॉ शबनम यासमिन ने प्रतिभागियों को विस्तार से परिवार नियोजन के स्थायी (महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी) और अस्थायी साधनों (कंडोम, कॉपर-टी, गर्भनिरोधक गोलियां, इंजेक्शन) के उपयोग, लाभ और भ्रांतियों के बारे में जानकारी दी.उन्होंने ने कहा कि गर्भनिरोधक उपाय केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए. पुरुषों की भागीदारी आवश्यक है ताकि महिलाएं बिना डर के निर्णय ले सकें. “गांव-गांव में अभी भी जानकारी की कमी के कारण महिलाएं अनावश्यक गर्भधारण झेलती हैं. यदि हम स्वास्थ्यकर्मी ही सही मार्गदर्शन नहीं देंगे, तो बदलाव संभव नहीं होगा. “

योजना सबके लिए, विकल्प सबके पास

कार्यशाला के माध्यम से जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि हर दंपती तक यह संदेश पहुंचे बिना दबाव, बिना भय – सही जानकारी के साथ अपना परिवार खुद बनाएं.यह प्रशिक्षण न केवल स्वास्थ्यकर्मियों के ज्ञान को बढ़ाने के लिए था, बल्कि उन्हें अपने-अपने संस्थानों में ””””मेंटर्स”””” की भूमिका निभाने और अन्य कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपने के लिए था.जनसंख्या नियंत्रण कोई सरकारी मजबूरी नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है कि वह सुरक्षित, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जिए. जिले ने आज जो पहल की है, वह निश्चित ही परिवार नियोजन को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.

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