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गंदे पानी व अस्वास्थ्यकर भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का खतरा

गंदे पानी व अस्वास्थ्यकर भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का खतरा

प्रतिनिधि, किशनगंज

मानसून में जब जलजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है, ऐसे समय में हेपेटाइटिस जैसे रोग तेजी से फैल सकता है. दूषित पानी और भोजन के कारण फैलने वाले हेपेटाइटिस ए और ई खासतौर पर इस समय अधिक सक्रिय हो जाते हैं. किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने लोगों को उक्त बीमारी से बचाव के लिए आगाह किया है. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है जो लीवर को प्रभावित करती है. यह वायरस जनित संक्रमण है. इसकी चपेट में आने से व्यक्ति की लीवर कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इससे शरीर में कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं. डॉ चौधरी ने कहा कि हेपेटाइटिस के कई प्रकार होते हैं ए, बी, सी, डी और ई. इनमें से हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी-भोजन के माध्यम से फैलती है. हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित रक्त, शारीरिक तरल पदार्थों और असुरक्षित यौन संबंधों से फैलती है. किसी को भी रक्त चढ़ाने से पहले उसकी जांच करना बेहद आवश्यक है. अक्सर लोग शुरुआत में इस बीमारी को पहचान नहीं पाते. यदि किसी की त्वचा या आंखों में पीलापन, लगातार थकान, पेट दर्द, गहरे रंग का पेशाब, हल्के रंग का मल, बुखार या मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं दिखें तो उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

हेपेटाइटिस से बचाने में टीकाकरण प्रभावी

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने हेपेटाइटिस को साइलेंट किलर बताते हुए कहा कि इसकी पहचान कई बार तब होती है जब लीवर को पहले ही नुकसान पहुंच चुका होता है. उन्होंने कहा कि टीकाकरण हेपेटाइटिस बी और ए से बचने का सबसे प्रभावी उपाय है. बच्चों को जन्म के बाद हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाएं. वयस्कों को भी डॉक्टर की सलाह लेकर टीकाकरण करवाना चाहिए. उन्होंने बताया कि जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं, असुरक्षित यौन संबंधों में रहते हैं या पहले हेपेटाइटिस से संक्रमित हो चुके हैं, वे उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं. ऐसे लोगों को समय-समय पर लीवर की जांच करानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर इलाज कराना चाहिए.

खानपान में स्वच्छता से होगा संक्रमण से बचाव

सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिन क्षेत्रों में साफ पानी की उपलब्धता कम है, वहां उबले हुए पानी का सेवन करना चाहिए. खुले में बिकने वाला या बासी भोजन खाने से बचें. साथ ही, खाना बनाने और खाने से पहले हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए.इसके अतिरिक्त, रक्त चढ़ाने की स्थिति में ब्लड बैंक द्वारा स्वीकृत और जांचे गए रक्त का ही प्रयोग करें. असुरक्षित यौन संबंधों से परहेज करें और ज़रूरत पड़े तो कंडोम जैसे सुरक्षा साधनों का इस्तेमाल करें.

बचाव के लिए जागरूकता व सतर्कता जरूरी

सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने कहा कि हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे समय पर सतर्क रहकर बचा जा सकता है. आम लोगों को चाहिए कि वे साफ-सफाई का ध्यान रखें. समय पर टीकाकरण कराएं. किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय सलाह ले. स्वास्थ्य विभाग किशनगंज द्वारा इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि लोग हेपेटाइटिस के लक्षणों, कारणों और बचाव के तरीकों को समझ सकें. जिले में हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हेपेटाइटिस बी का टीका नि:शुल्क उपलब्ध है. जागरूकता, सतर्कता से ही हेपेटाइटिस जैसी गम्भीर रोग से बचाव भी संभव है.

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