-पुरुष नसबंदी को लेकर भ्रांतियों को तोड़ा, जिले को दिलाया क्षेत्रीय स्तर सम्मानझिझक और भ्रम के खिलाफ एक महिला योद्धाकिशनगंज आज भी पुरुष नसबंदी को लेकर हमारे समाज में डर, झिझक और गलतफहमियां फैली हुई हैं. परिणामस्वरूप, स्वास्थ्य और ज़िंदगी की कीमत महिलाओं को चुकानी पड़ती है. जिले के ठाकुरगंज प्रखंड की आशा कार्यकर्ता उषा देवी ने इस सोच को बदला है. उन्होंने पुरुष नसबंदी को लेकर फैली झिझक, डर और अज्ञानता को न सिर्फ चुनौती दी, बल्कि 2024 में छह पुरुषों की नसबंदी सफलतापूर्वक करवा कर पूरे जिले के लिए एक मिसाल कायम कर दी. इसके लिए उन्हें जिला और क्षेत्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया.
झिझक और भ्रम के खिलाफ एक महिला योद्धा
पुरुषों को नसबंदी का नाम सुनते ही डर और झिझक लगने लगती थी. शुरुआत में जब उषा देवी ने पुरुष नसबंदी को लेकर बात करनी शुरू की, तो डर जाते थे. उन्होंने हर घर जाकर समझाया कि यह प्रक्रिया सुरक्षित है, सरल है और पुरुष की ताकत या कामकाज पर कोई असर नहीं डालती. धीरे-धीरे कुछ पुरुषों ने भरोसा दिखाया और आगे आए. उनकी इस सफलता के लिए जिला स्तर एवं रीजनल प्लेटफॉर्म पर सम्मानित भी किया गया.ठाकुरगंज बना प्रेरणास्त्रोत: अब पुरुष भी हो रहे जागरूक
उषा देवी की पहल के बाद ठाकुरगंज में पुरुषों की सोच में बदलाव देखा गया है. वर्तमान पखवाड़ा में भी उन्होंने दो पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया है. यही नहीं, वे अब अन्य आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दे रही हैं कि वे पुरुषों से संवाद कैसे करें.परिवार की योजना, दोनों की जिम्मेदारी
अगर हम चाहते हैं कि महिलाएं स्वस्थ रहें, मातृ मृत्यु दर घटे और बच्चे बेहतर स्वास्थ्य के साथ जन्म लें—तो परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी आवश्यक है. जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान लोगों की सोच को बदलने की दिशा में एक सशक्त कदम है. अब वक्त है कि समाज में “पुरुष नसबंदी ” पर खुलकर बात हो, ताकि हर परिवार स्वस्थ और सशक्त बन सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है