बहादुरगंज. कालाजार जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ दवा नहीं, जन-जागरूकता ही असली हथियार है. बीमारी जब तक छुपी रहती है, तब तक यह जानलेवा बनती है लेकिन यदि समय पर पहचान हो जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है. भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में आज एक और अहम पहल की गई. इस अभियान की सफलता इसी में है कि छिपे हुए कालाजार रोगियों की जल्द पहचान कर उनका समय पर इलाज कराया जाए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. इसी उद्देश्य से बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें सरकारी अधिकारियों से लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं तक ने एक सुर में संकल्प लिया कि हर रोगी तक पहुंचेंगे, हर गांव को कालाजार मुक्त बनाएंगे. अब यह सिर्फ मिशन नहीं, जनआंदोलन बन चुका है.
कालाजार की रोकथाम में सामुदायिक भागीदारी का निर्णायक प्रयास
वीबीडीसीओ डॉ मंजर आलम ने कहा की भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कालाजार उन्मूलन योजना के तहत 30 जून को दिघलबैंक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में केआई प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का मकसद था छिपे हुए कालाजार रोगियों की पहचान कर उन्हें समय पर इलाज से जोड़ना जिससे संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके. प्रशिक्षण में डॉ रिजवाना तबस्सुम, अजय, मोहम्मद नवाब, पिरामल फाउंडेशन से मोनिस, विश्वजीत और अमरदीप, तथा डब्लूएचओ से एफएम प्रतिनिधि सहित कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं फील्ड कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है