किशनगंज. बरसात के मौसम ने जिले में बीमारियों का खतरा भी साथ ला दिया है. हाल के दिनों में बच्चों में दस्त और बड़ों में मियादी बुखार (टायफाइड) के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी है. बदलते मौसम में दूषित पानी, दूषित भोजन व गंदगी से फैलने वाले रोगों ने एक बार फिर सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को सतर्क कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि वे इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें. समय रहते नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें.
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि हर मौसम की अपनी चुनौतियां होती हैं. हमें इस बरसात में अपने बच्चों और बुजुर्गों को बीमारियों से बचाने के लिए मिलकर काम करना है. स्टॉप डायरिया अभियान से जुड़ें, ओआरएस-ज़िंक का उपयोग करें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें. सावधानी ही सुरक्षा है. मौसमी बीमारियों से बचाव किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर व्यक्ति की सजगता पर आधारित है. डायरिया और टायफाइड जैसे रोग बरसात में आम हैं. ज़रा सी लापरवाही इन्हें घातक बना सकती है. अभिभावकों, शिक्षकों और समुदाय के लोगों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई बच्चा बीमारी से पीड़ित न हो और समय रहते सही इलाज मिले.15 जुलाई से 14 सितंबर तक स्टॉप डायरिया अभियान
सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले में छोटे बच्चों में दस्त (डायरिया) की शिकायतें मिल रही है. यह समस्या मुख्यतः वायरस, बैक्टीरिया, अशुद्ध भोजन, दूषित पानी या फूड पॉइजनिंग के कारण होती है. ओआरएस घोल व जिंक की गोली इसके प्राथमिक उपचार हैं. माता-पिता को यह जानकारी होनी चाहिए. डायरिया और अन्य मौसमी रोगों की रोकथाम के लिए किशनगंज जिले में 15 जुलाई से 14 सितंबर तक “स्टॉप डायरिया अभियान” चलाया जा रहा है. इसके अंतर्गत घर-घर जाकर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ओआरएस-ज़िंक वितरण, स्वास्थ्य परामर्श, और व्यवहार परिवर्तन गतिविधियां कर रही हैं.साथ ही, सभी प्रखंडों में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा अभियान का उद्घाटन किया गया है. सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने कहा की “यह मौसम बच्चों के लिए बेहद संवेदनशील होता है. डायरिया, टायफाइड और अन्य जल जनित रोगों से बचाव के लिए विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है. लोग अपने स्तर पर भी साफ-सफाई रखें, हाथ धोने की आदत डालें और केवल उबला पानी पिएं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मंजर आलम ने बताया कि मियादी बुखार (टायफाइड फीवर) सालमोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया से होता है, जो आमतौर पर दूषित पानी और संक्रमित खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. यह बैक्टीरिया पानी में लंबे समय तक जीवित रहता है. नल के पानी, खुले खाद्य पदार्थों और गंदे हाथों के माध्यम से आसानी से फैल सकता है. उन्होंने बताया कि मियादी बुखार के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, पेट दर्द, भूख न लगना, उल्टी-दस्त और बड़ों में कब्ज की शिकायत होती है. यह सामान्य बुखार से अलग और अधिक खतरनाक होता है. समय पर चिकित्सकीय सलाह और एंटीबायोटिक उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. परंतु लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है