ठाकुरगंज
शिक्षा का मंदिर या मजबूरी का घर. ठाकुरगंज प्रखंड के नया प्राथमिक विद्यालय नावडूब्बा की यह कहानी न केवल शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का उदाहरण है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की गंभीर स्थिति को भी उजागर करती है.ठेकेदार के भवन निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ देने का परिणाम है कि एक ही स्कूल दो स्थानों पर संचालित हो रहा है. 11साल बीत जाने के बाद भी स्कूल निर्माण के लिये दान में मिली जमीन पर झोपड़ी बनाकर स्कूल चलाया जा रहा है. इसका खामियाजा सिर्फ नोनिहालों को झेलनी पड़ रही है. कुछ माह पहले अगर फंड मिला भी तो ठेकेदार नीवं तक काम करने के बाद से ही अधूरी निर्माण कार्य छोड़कर लापता है. इतना के बाद भी प्रशासन उदासीन बने हुये हैं.
हालत इतनी भयावह है कि गांव के आंगनबाड़ी के बगल में खाली जमीन पर टीना का सेड देकर कक्षा एक से तीन और दो किमी दूर एक निजी घर में कक्षा चार और पांच की कक्षा शुरू की गई. इससे पठन -पाठन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा है. विद्यालय में नामांकित 75 बच्चों को ठंड, गर्मी या बरसात, हर परिस्थिति में बच्चे बोरा पर बैठकर पढ़ने को विवश है. इस दयनीय हालत के बाद भी प्रशासन की ओर कोई पहल नहीं हो रही है.स्कूल के शिक्षको ने बताया कि यहां बारिश होने पर क्लास रूम में पानी लग जाता है. सबसे ज्यादा दिक्कत मध्याह्न भोजन के संचालन में होती है, विद्यालय के प्रभारी प्रधान शिक्षक राहुल कुमार ने बताया की मध्याह्न भोजन निर्माणाधीन भवन के पास बनता है. जहां टिपिन के वक्त बच्चे आकार खाना खाते है. कक्षा 1 से 3 जहां चल रहा है वहां से आधे किमी, कक्षा चार और 5 की जहां पढ़ाई हो रही है वहां से दो किमी है. भोजन करने के लिये बच्चे को इतना दूर जाना अभिशाप बन गया है. इस वजह से बच्चे थक भी जाते है और समय भी बर्बाद होता है. इस परेशानी से बच्चों की पढाई भी बाधित हो रही है.
प्रशासन की उदासीनता
जब इस गंभीर मामले पर प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अवदेश शर्मा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने चौंकाने वाली प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उन्हें इस स्थिति की जानकारी नहीं थी और मामले की जांच की जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है