Bihar News: विगत तीन दिनों से बौद्धिष्ठों के लिए लखीसराय में तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी का आयोजन किया गया, वहीं इस दौरान जिले के आधा दर्जन स्थलों पर वाटर लेवल की जांच के दौरान बौद्धकालीन इतिहास की जानकारी भी मिली है.
आधा दर्जन जगहों पर बौद्धकालीन अवशेष का चला पता
बता दें कि जिला प्रशासन के द्वारा जिले में वाटर लेवल जांच की पहल की गयी थी. जिसके लिए आईआईटी धनबाद एवं आईआईटी दिल्ली की टीम को जिम्मेदारी दी गयी थी. उसमें विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय की टीम भी शामिल रही. जिसने विगत तीन दिनों तक जिले में कई जगहों पर जांच के दौरान जिले के लगभग आधा दर्जन जगहों पर बौद्धकालीन अवशेष होने की जानकारी सामने आयी है.

जांच में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया
इस संबंध में विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार ने बताया कि जांच में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. जो जमीन के अंदर दो सौ मीटर तक क्या है इसकी जानकारी हासिल कर सकती थी. इस दौरान रामगढ़ चौक प्रखंड के नोनगढ़ में एक स्तूप व एक बौद्ध मठ होने की जानकारी मिली है.

टीला पर भी एक स्तूप बताया जा रहा
शहर के वार्ड नंबर एक स्थित रजौना में बनियाही पोखर के समीप टीला पर भी एक स्तूप बताया जा रहा है. जबकि अशोक धाम के पीछे राहोगढ़ में भी बौद्ध मठ होने की बात कही जा रही है. वहीं संग्रहालय के समीप हाल ही में राजकीय धरोहर में शामिल किये गये बालगुदर गढ़ में भी बौद्ध मठ बताया जा रहा है. इसके अलावा किऊल थाना क्षेत्र के वृंदावन में स्तूप होने की जानकारी मिली है. जबकि शहर के कवैया थाना क्षेत्र अंतर्गत कवैया जयनगर में भी स्तूप, मठ एवं जमीन के अंदर कुछ मूर्तियां होने की बात सामने आयी है.

पहले भी मिल चुका है अवशेष
यहां बता दें कि पूर्व में जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी पर विगत 2017 से हुई खुदाई के दौरान बौद्ध महाविहार एवं स्तूप का अवशेष मिला. जिसके संरक्षण के लिए कला संस्कृति एवं युवा मंत्रालय के द्वारा 28 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी स्वीकृत कर दी है. वहीं इसके अलावा खुदाई के दौरान उरैन में भगवान बुद्ध के आवासन के प्रमाण सहित कई बौद्धकालीन महत्व की सामग्री प्राप्त हुई है. जबकि जिले के घोसीकुंडी, बिछवे पहाड़ी सहित कई अन्य जगह बौद्धकाल से जुड़े बताये जा रहे हैं.
बौद्धकालीन मठ, स्तूप व मूर्तियों के होने की जानकारी
वहीं पूर्व से लेकर वर्तमान तक जिले के अलग-अलग जगहों से पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों एवं अन्य सामग्री मिलना जिले के स्वर्णिम इतिहास को बताने का काम करता रहा है. अब इन आधा दर्जन जगहों पर बौद्धकालीन मठ, स्तूप व मूर्तियों के होने की जानकारी मिलने से निश्चित रूप से लखीसराय जिला आने वाले समय में पर्यटन के मानचित्र पर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखायेगा.