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जिले में 42 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य

जिले में 42 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य

लखीसराय. जिले में सभी प्रखंड मुख्यालय में धान का बिचड़ा अनुदान की राशि पर किसानों को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया गया है. किसान धान का बिचड़ा अपने-अपने खेतों में गिरा भी रहे हैं. इस बार 42 सौ हेक्टेयर में धान का बिचड़ा का आच्छादन होना है. किसानों के बीच धान के बिचड़ा का वितरण प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान की राशि पर उपलब्ध कराया जा रहा है. अब तक लगभग एक हजार से अधिक किसानों को धान का बिचड़ा अनुदान की राशि पर उपलब्ध करा दिया गया है. सूर्यगढ़ा के पीरी बाजार, कजरा सदर प्रखंड, रामगढ़ चौक हलसी आदि प्रखंड में धान का बिचड़ा प्रखंड के प्रगतिशील किसानों के द्वारा गिराना शुरू हो चुका है. जिन प्रखंड में खेतों की सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. वहां पर धान का बिचड़ा गिरना शुरू कर दिया गया है. सदर प्रखंड, रामगढ़ चौक के साथ-साथ सूर्यगढ़ा प्रखंड के कुछ पंचायत एवं गांव में बोरिंग की सुविधा उपलब्ध है. जिससे कि लोग पटवन कर धान का विचड़ा गिराना शुरू किया है. वहीं हलसी एवं चानन में कुंदर बराज की पानी छोड़ने पर धान का विचड़ा गिरा रहे है.

42 हजार हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य

जिले में 42 हजार हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल के मुकाबले इस साल भी धान की खेती का लक्ष्य लगभग बराबर है. पिछले साल भी 40 से 42 हजार हेक्टेयर में धान की खेती किया गया था. जिले के पिपरिया एवं बड़हिया प्रखंड को छोड़कर शेष पांच प्रखंड में धान की खेती किया जाता है. पांचों प्रखंड के किसानों को धान की खेती के लिए कृषि विभाग के द्वारा अनुदान पर बीज उपलब्ध कराते हैं. हालांकि धान की खेती में प्रति साल एक से दो हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी होती है. जबकि पिपरिया प्रखंड में हरी मिर्च, टमाटर एवं सोयाबीन की खेती किया जाता है. कृषि विभाग के द्वारा सोयाबीन की खेती के लिए भी अनुदान की राशि उपलब्ध कराया जाता है.

12 हजार हेक्टेयर में होना है मक्का की खेती

जिले के बड़हिया एवं पिपरिया प्रखंड में 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए कृषि विभाग के द्वारा मक्का का बीज अनुदान की राशि पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. सबसे अधिक मक्का की खेती पिपरिया प्रखंड में किया जाता है. तत्कालीन जिला कृषि पदाधिकारी मोटा अनाज के पैदावार को लेकर काफी गंभीर थे. मोटा अनाज में मक्का, बाजारा, मरुआ आदि की खेती के लिए किसानों को जागरूक करने का कार्य कर रहे थे. इस बार भी मोटा अनाज में मक्का की खेती पर जोर दिया जा रहा है.

बोले किसान :

रोहण नक्षत्र बीत चुका है वर्तमान में मृगशिरा नक्षत्र चल रहा है. इस नक्षत्र में किसानों द्वारा अग्रतर धान के फसल के लिए बिचड़ा गिराना शुरू कर दिया गया है.

बाल्मीकि यादव, गढ़ी बिशनपुर

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10 दिनों के अंदर धान का बिचड़ा गिराया जायेगा. अभी कड़ी धूप होने के कारण बोरिंग का पानी एक दिन भी टिक नहीं पाता है. मौसम विभाग के अनुसार 11 जून से मौसम शुष्क हो जायेगा, तभी बिचड़ा गिराना उचित होगा.

मणिकांत यादव, खगौर

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वर्तमान में मंसूरी 6444 आदि किस्म के धान का बिचड़ा गिराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि धान, पान, नित्य स्नान के तर्ज पर धान की खेती किया जा सकता है. जिस तरह पान की खेती के लिए प्रतिदिन पानी की आवश्यकता है. उसी तरह धान की खेती के लिए भी रोज पानी की जरूरत होती है.

राजेंद्र यादव, प्रगतिशील किसान, गढ़ी बिशनपुर

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उनके द्वारा रोहण नक्षत्र आने के तीन दिन बाद ही धान का बिचड़ा गिराया गया है. अभी तक बोरिंग सिंचाई किया जा रहा है, उनके द्वारा मंसूरी नस्ल के विधा धान का बिचड़ा गिराया गया है.

रामसागर चौधरी, प्रगतिशील किसान, गढ़ी बिशनपुर

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10 दिनों बाद उनके द्वारा धान का बिचड़ा गिराया जायेगा. वे ब्लॉक से 6444 किस्म के धान का बिचड़ा अनुदान की राशि पर लेकर ही गिरायेंगे.

सहदेव यादव, किसान

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बोले अधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु ने बताया कि धान का बीज अनुदान की राशि पर उपलब्ध है. किसानों के बीच धान का बिचड़ा अनुदान की राशि पर उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 42 सौ हेक्टेयर में धान का विचड़ा का लक्ष्य है. —————-

बोले सिंचाई अभियंता

सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता रविशंकर प्रसाद ने बताया को जमुई प्रमंडल से किसानों के लिए सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है. बारिश होने के बाद ही बराज का पानी धान की रोपनी के लिए छोड़ा जाता है.

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