लखीसराय. दियारा के लोगों को बाढ़ की चिंता सताने लगी है. पूर्व में सिर्फ गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने के कारण निचला क्षेत्र डूब चुका था, जिससे कि किसानों को पशुओं का चारा को लेकर काफी परेशानियों को झेलना पड़ रहा है. वहीं अब दक्षिणी दिशा की ओर से फिर किऊल नदी के उफान से किसान एवं आम जन जीवन प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी हुई है. किऊल नदी का जलस्तर फिर से रविवार से तेज हो गयी है, जिससे कि लोगों की चिंता बढ़ गयी है, पिपरिया प्रखंड क्षेत्र के पथुआ, कन्हरपुर, रामचंद्रपुर, कोलवर समेत रहाटपुर के कई हिस्से का जमीन जलमग्न हो चुका है. सड़क के दोनों किनारे पानी भरा हुआ है, लोगों के जानवरों का चारा नहीं मिल रहा है, जिसके कारण किसानों के समक्ष एक बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों को पशुचारा के लिए करना पड़ता है बाढ़ के पानी में प्रवेश
दियारा क्षेत्र में बाढ़ के पानी प्रवेश करने से अभी सिर्फ पशुचारा को लेकर ही परेशानी है. पथुआ, रहाटपुर, कन्हरपुर एवं रामचंद्रपुर में पानी घुस जाने के कारण तकरीबन एक हजार से अधिक पशुपालक अपने पशुओं को लेकर ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर चुके हैं. वहीं दियारा क्षेत्र में सड़क मार्ग अभी तक बहाल है. लोगों के घरों में पानी का प्रवेश अभी तक नहीं हुआ है लेकिन किऊल नदी एवं गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर जिला प्रशासन भी काफी गंभीर नजर आ रहे है. जिला प्रशासन जिले में हो रहे रोपनी को लेकर भी नहर में पानी का आना जरूरी समझ रहे है. वहीं किऊल नदी का जलस्तर में बढ़ोतरी नहीं हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
जिले में 50 से अधिक नाव व नाविक बाढ़ को स्थिति से निपटने के लिए है तैयार
जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लिए 50 नाव एवं नाविक तैयार है. पिपरिया प्रखंड के लिए एक दर्जन से अधिक नाव दिया गया है. वहीं बड़हिया एवं अन्य क्षेत्र के लिए भी नव एवं नाविक पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने कहा कि बाढ़ आपदा से निपटने के लिए लोगों के लिए किचन शेड, ऊंचे स्थान मवेशियों का चारा आदि उपलब्ध है.बोले प्रभारी आपदा प्रबंधन पदाधिकारी
प्रभारी आपदा प्रबंधन पदाधिकारी शशि कुमार ने बताया कि दियारा क्षेत्र की परेशानी को लेकर उनका ध्यान आकृष्ट है. जल्द ही पशुओं का चारा किसानों को उपलब्ध करा दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दियारा का जायजा भी लिया गया है. अभी तक घर में एवं सड़क पर पानी का बहाव नहीं हो पाया है. जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ आपदा को लेकर पूर्व से ही तैयारी कर ली गयी है. बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए वे सब पूरी तरह तैयार है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में किऊल नदी में पांच सौ क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा जो कि सामान्य है—————–बड़हिया में गंगा का जलस्तर बढ़ा, दियारा में बाढ़ का खतरा मंडराया
बड़हिया. पिछले एक सप्ताह से हो रही लगातार बारिश ने गंगा और हरुहर नदी के जलस्तर को तेजी से बढ़ा दिया है. मौसम विभाग के मुताबिक अभी बारिश की गति थमने की संभावना नहीं है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है. दो दिनों के भीतर गंगा नदी के जलस्तर में करीब 8 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गयी है, जिससे दियारा क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. गंगा के बढ़ते पानी ने दियारा क्षेत्र में बसे लोगों की चिंता बढ़ा दी है. खासकर वे किसान जो दियारा इलाके में खेती और पशुपालन करते हैं, उनके लिए हालात कठिन हो गये हैं. गंगा के पानी का फैलाव इतनी तेजी से हो रहा है कि खेतों की मेढ़ें तक डूब चुकी हैं. किसानों को अब शहरी इलाके से संपर्क के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. कई ग्रामीण रोजाना जान जोखिम में डालकर नाव से बड़हिया बाजार और अन्य जरूरी स्थानों तक पहुंच रहे हैं. दियारा के किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता खेतों में खड़ी फसल है. गंगा के पानी ने भदई फसल, परवल, कद्दू, करैला, बोरा, भिंडी, खीरा, नेनुआ जैसी सब्जियों को डुबो दिया है. कई एकड़ में लगी फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें इस बार भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा, क्योंकि फसल तैयार होने के करीब थी और अब उसमें सड़न शुरू हो गयी है.गंगा के जलस्तर में 42 सेंटीमीटर की हुई बढ़ोतरी
फिलहाल हाथीदह में गंगा का जलस्तर 41.76 सेंटीमीटर से बढ़कर 42.21 सेंटीमीटर तक पहुंच चुका है. हाथीदह में गंगा खतरे के स्तर से ऊपर है, लेकिन जिस तेजी से पानी बढ़ रहा है, उसे देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है. तटवर्ती गांवों में निगरानी रखी जा रही है और स्थानीय लोग भी संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए सुरक्षित स्थानों की तलाश में लग गये हैं.
जलस्तर बढ़ने से गंगा घाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की बढ़ी संख्या
गंगा में जलस्तर बढ़ने के साथ ही बड़हिया कॉलेज गंगा घाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. इसे देखते हुए नगर परिषद बड़हिया द्वारा घाट पर बैरिकेटिंग करायी गयी है ताकि श्रद्धालु ज्यादा गहराई में न जायें. नगर परिषद ने महिला श्रद्धालुओं के लिए घाट पर चेंजिंग रूम की व्यवस्था भी की है, चूंकि यह घाट काफी गहरा और जोखिम भरा है, इसलिए नगर कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है. श्रद्धालुओं को सलाह दी जा रही है कि वे गंगा के अंदर ज्यादा दूर तक न जायें, क्योंकि जरा सी असावधानी जानलेवा हो सकती है. गंगा के बढ़ते जलस्तर को लेकर जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क है. संबंधित विभागों को अलर्ट रहने और स्थिति पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं. बाढ़ की आशंका को देखते हुए संभावित प्रभावित इलाकों की पहचान कर ली गयी है. स्थानीय प्रशासन द्वारा नाव, राहत सामग्री और अस्थायी शिविरों की तैयारी भी प्रारंभ कर दी गयी है, ताकि आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके.बोले एसडीओ
एसडीओ प्रभाकर कुमार ने बताया कि गंगा के लगातार बढ़ रहे जलस्तर पर प्रशासन की नजर है तथा भी आपदा से निपटने के लिए तैयार हैं. वहीं कॉलेज घाट में श्रद्धालुओं के स्नान की सूचना पर उसपर रोक लगाने बात कही.—————
एलकेवी नहर के 25 फीट गड्डे में गिरा बाइक चालक, बाल-बाले बचे
चानन. स्थानीय थाना क्षेत्र के मननपुर गांव के पास महादलित टोला के पास एलकेवी नहर के 25 फीट नीचे पानी एक बाइक चली गयी, जिससे उसपर सवार युवक बाल-बाल बच गया. जानकारी के मुताबिक गोपालपुर गांव निवासी दिनेश सिन्हा के 24 वर्षीय पुत्र धीरज कुमार बाइक से अपना घर गोपालपुर भलुई हॉल्ट जा रहा था कि अचानक वह अपना संतुलन खो दिया और गाड़ी नहर में जा गिरी लेकिन नहर में पानी रहने से वह बाल-बाल बच गया. बाद में ग्रामीणों के सहयोग से उसे निकाल लिया गया. अगर नहर में पानी नहीं होता तो एक बड़ी घटना घट सकती थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है