लखीसराय. जिले में प्राकृतिक खेती करने की योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है. किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक द्वारा नदी एवं गंगा किनारे गांव का 50 हेक्टेयर खेत का एक कलस्टर बनाया है. एक कलस्टर में 125 किसानों का समूह बनाया गया है. कृषि विभाग के द्वारा अब तक आठ कलस्टर का चयन कर एक हजार किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिये जाने की तैयारी की गयी है. प्राकृतिक खेती एक तरह का जैविक खेती जैसा ही होगा. जिसमें किसान अपनी फसल में किसी तरह का फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं करेंगे.
जिले के चार प्रखंड में गंगा एवं नदी किनारे गांव में हुआ कलस्टर का चयन
जिले के तीन प्रखंड छोड़कर शेष चार प्रखंड बड़हिया, पिपरिया, लखीसराय एवं सूर्यगढ़ा के गंगा, हरूहर एवं किऊल नदी के किनारे वाले गांव का प्राकृतिक खेती के लिए किसानों का चयन किया गया है. जबकि हलसी, रामगढ़ चौक एवं चानन के कोई भी गांव नदी एवं गंगा किनारे नहीं होने के कारण इस प्रखंड को चयनित नहीं किया गया है.प्राकृतिक खेती में मोटा अनाज की करायी जा सकती है खेती
लोगों को फर्टिलाइजर युक्त फसल का उपयोग कर कई तरह की बीमारियां घर ला रहे है. मोटा अनाज प्राकृतिक खेती के लिए सही साबित हो सकता है. मोटा अनाज में मकई, बाजरा, मरुआ आदि की खेती में फर्टिलाइजर की जरूरत भी नहीं होती है. यह खेती पूरी तरह से नेचुरल फार्मिंग माना जाता है. इसके उपयोग से लोग स्वस्थ रह सकते हैं. सरकार भी अब मोटा अनाज के उत्पादन पर पूरी तरह से फोकस कर रही है.बोले अधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा कि अभी तक प्राकृतिक खेती के लिए दो सौ हेक्टेयर चयन किया गया है. वहीं एक हजार किसान का भी चयन किया गया है. प्राकृतिक खेती के लिए गंगा एवं नदी किनारे जमीन का चयन किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है