स्वास्थ्य विभाग व पिरामल के सहयोग से रामगढ़ चौक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दिया गया प्रशिक्षण
लखीसराय.
फाइलेरिया व कालाजार जैसी संक्रामक बीमारी का इलाज अब गांव के लोगों को उनके द्वार पर ही मिलेगा. जिसके लिए आज स्वास्थ्य विभाग एवं पिरामल के सहयोग से ग्रामीण चिकित्सकों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है. रामगढ़ चौक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ कंचन कुमार ने बताया कि ये ग्रामीण चिकित्सक प्रशिक्षण लेने के बाद गांव के लोगों को इस संक्रामक बीमारी से जागरूक तो करेंगे ही, साथ ही कालाजार का इलाज भी करेंगें. उन्होंने बताया की इस प्रशिक्षण से स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया एवं कालाजार उन्मूलन के तरफ मजबूती से कदम बढ़ाता जा रहा है. ग्रामीण चिकित्सक को प्रशिक्षण देते हुए लखीसराय जिला के प्रोग्राम हेड राहुल कुमार ने कहा कि फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव भी कहा जाता है, एक परजीवी रोग है जो धागे जैसे कृमि (नेमाटोड) के कारण होता है. यह रोग मच्छरों के काटने से फैलता है और इसके कारण शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ जाती है, खासकर पैर और जननांगों में. वहीं कालाजार भी एक संक्रामक बीमारी है जो जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और लीशमैनिया परजीवी के कारण होता है. यह एक गंभीर बीमारी है जो यकृत, तिल्ली और अस्थि मज्जा को प्रभावित करती है और यदि इसका इलाज न किया जाय, तो यह घातक भी सिद्द हो सकता है. राहुल कुमार प्रशिक्षण में आय हुए ग्रामीण चिकित्सक को जागरूक करते हुए कहा की इस बीमारी आप सभी को तो जागरूक होना, साथ ही अपने गांव के लोगों को भी जागरूक कारण है. कालाजार के लक्षण के बारे में बताते हुए कहा कालाजार के मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, एनीमिया, और तिल्ली और जिगर का बढ़ना शामिल हैं. इसके अलावा, सूखी, पपड़ीदार त्वचा और बालों का झड़ना भी इसके लक्षण हो सकते हैं. इस अवसर पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक अरुण कुमार, भीबीडीओ भगवान दास,भीबीडीसी नरेंद्र कुमार, भीडीबीडीएस रत्नेशचंद्र पांडेय एवं पिरामल से ललिता कुमारी मौजूद थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है