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धान के कटोरे में सोयाबीन एवं लाल टमाटर की पैठ

जिले के धनहर क्षेत्र में नकद एवं महंगा फसल की सेंधमारी शुरू हो गया है. लखीसराय, रामगढ़ चौक एवं पिपरिया प्रखंड में महंगा एवं नगद फसल सोयाबीन की खेती किसानों द्वारा किया जा रहा है. आच्छादन फसल होने के कारण किसानों को सोयाबीन को खेती काफी कम लागत में हो रही है.

कृषि विभाग द्वारा निशुल्क में दिया जा रहा 25 किलो सोयाबीन का बीज

सदर प्रखंड के धनहर क्षेत्र साबिकपुर, दामोदरपुर, रेहुआ समेत अन्य गांव में किसानों से कराया जा रहा सोयाबीन की खेती

इन क्षेत्रों लाल टमाटर की भी होती है जमकर खेती

सबसे अधिक पिपरिया प्रखंड के पथुआ, कन्हरपुर, वलीपुर एवं रामचंद्रपुर में होती है सोयाबीन की खेती

इस बार बाढ़ आने के बाद की जायेगी सोयाबीन की खेती

लखीसराय. जिले के धनहर क्षेत्र में नकद एवं महंगा फसल की सेंधमारी शुरू हो गया है. लखीसराय, रामगढ़ चौक एवं पिपरिया प्रखंड में महंगा एवं नगद फसल सोयाबीन की खेती किसानों द्वारा किया जा रहा है. आच्छादन फसल होने के कारण किसानों को सोयाबीन को खेती काफी कम लागत में हो रही है. जिससे कि किसानों लागत के नाम पर अधिक दामों में वाली फसल मिल जाता है. इस फसल को लेकर सबसे बड़ी बात यह है कि इस फसल के खेत में पानी का जमावड़ा नहीं होनी चाहिए. यही कारण है कि सोयाबीन की खेती ऊपरी सतह वाली जमीन में बोया जाता है. जिससे कि जलजमाव नहीं हो. फिलहाल सोयाबीन की नयी खेती के लिए सदर प्रखंड के सभी नौ पंचायत के नौ गांव को क्लस्टर बनाकर किसानों के बीच निशुल्क में बीज उपलब्ध कराया गया है.

10 पंचायत में नौ गांव को बनाया गया है क्लस्टर

सदर प्रखंड की कुल 10 पंचायत में नौ गांव को क्लस्टर बनाकर वहां के किसानों को निशुल्क में सोयाबीन के बीज उपलब्ध कराया गया है. एक किसान को एक एकड़ में सोयाबीन की खेती के लिए 25 किलो बीज उपलब्ध कराया गया है. गढ़ी बिशनपुर के रेहुआ, साबिकपुर के साबिकपुर, बालगुदर के बालगुदर, अमहरा के बभनगावा, मोरमा के डिहरा समेत सभी नौ पंचायत के नौ गांवों को क्लस्टर बनाकर बीच का वितरण किया गया है. सदर प्रखंड के साबिकपुर, बालगुदर, डीहरा समेत अन्य दो गांव के क्लस्टर के किसानों को बीज उपलब्ध कराया गया है. हल्की मिट्टी यानी बलुआई मिट्टी में सोयाबीन की खेती होने का अधिक चांस होता है, क्योंकि ऐसे खेत में पानी बरसने के बाद पानी तुरंत सुख जाता है.

दियारा क्षेत्र के किसान करते है अधिकांश रकबा में सोयाबीन की खेती

दियारा क्षेत्र पिपरिया प्रखंड के विभिन्न गांव के किसान अधिक रकबा में सोयाबीन की खेती करते है. यहां के किसानों का कहना है कि गंगा एवं किऊल नदी के बीच ही उन लोगों का खेत है. अगर बाढ़ का पानी खेत में प्रवेश नहीं करे तो उन्हें पूरे साल सभी घरेलू खर्च के लिए अन्य फसल की जरूरत नहीं है. यहां के एक किसान तीन-तीन एकड़ में सोयाबीन की खेती करते है, लेकिन बाढ़ का पानी किसानों के लिए तबाही लेकर पहुंचता है और सब कुछ अपने साथ बहाकर ले जाता है.

अन्य फसल के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक राशि देता है सोयाबीन की खेती

अन्य फसल के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक किसानों को आय देती है. किसान का अगर यह फसल संभल जाय तो किसान खुशहाल हो सकते है. सबसे कम क्वालिटी का सोयाबीन को बिक्री आठ से दस हजार प्रति क्विंटल की बिक्री होती है. जबकि अच्छी क्वालिटी की सोयाबीन 14 से 16 हजार रुपये प्रति क्विंटल विक्री होती है. कम से कम 24 मन प्रति एकड़ सोयाबीन की उपज होती है. जबकि किसानों को निशुल्क में बीज और छिड़काव के लिए दवा कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है. किसान को कम से कम लागत में अधिक से अधिक आय की प्राप्ति होती है.

बोले अधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु ने बताया कि हल्का मिट्टी एवं ऊपरी सतह वाले खेत वाले गांव को क्लस्टर का चुनाव करते हुए किसानों को निशुल्क में एक एकड़ के लिए 25 किलो सोयाबीन की बीज उपलब्ध कराया गया है. साथ ही छिड़काव के लिए दवा भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. सोयाबीन की खेती के लिए गहरा खेत एवं केबाला मिट्टी पर्याप्त नहीं है.

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