गांवों में साफ-सफाई को लेकर लोगों में बढ़ी जागरूकता स्वच्छता शुल्क से पंचायत को हो रही अच्छी कमाई मधुबनी . जिले की कई पंचायतों में स्वच्छता शुल्क से पंचायत को अच्छी कमाई हो रही है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए अब पंचायतें प्रत्येक घर, दुकानों और संस्थानों से मासिक स्वच्छता शुल्क वसूल रही हैं. इससे पंचायत को न केवल नियमित आय हो रही है, बल्कि गांवों में स्वच्छता व्यवस्था भी पहले से बेहतर हुई है. पंचायत में हर घर से 30 रुपये तक मासिक शुल्क लिया जा रहा हैं. इस राशि का उपयोग कचरा उठाव, सफाई कर्मियों का मानदेय, कूड़ा वाहन की मरम्मत और सफाई सामग्री खरीद में किया जा रहा है. मधुबनी में इस आय से पंचायत को सरकारी फंड पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ता. साथ ही पंचायत के लोग खुद भी गांव की स्वच्छता के प्रति जिम्मेदार हो रहे हैं. 378 पंचायत में चल रहा अपशिष्ट प्रबंधन का काम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और प्रतिबद्धता अब स्पष्ट रूप से दिख रही है. जिले के सभी 21 प्रखंडों की 378 पंचायतों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का काम जोर-शोर से चल रहा है. यह पहल लोहिया स्वच्छता अभियान एवं स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाना और खुले में शौच मुक्त स्थिति को बनाए रखना है. स्वच्छता अभियान से जुड़ चुके हैं 11 लाख परिवार हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जिले के लगभग 11.70 लाख परिवार इस स्वच्छता अभियान से जुड़ चुके हैं. यह आंकड़ा ग्रामीण आबादी के बीच बढ़ती जागरूकता और स्वच्छता को अपनाने की उनकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है. इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि ग्रामीण अब स्वच्छता सेवाओं के लिए हर महीने सेवा शुल्क भी स्वेच्छा से भुगतान कर रहे हैं. यह पहल गांवों को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है. एसएलडब्ल्यूएम योजना के मुख्य उद्देश्य -खुले में शौच मुक्त स्थिति बनाए रखना -यह सुनिश्चित करना कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी खुले में शौच न करें -ठोस और तरल कचरे का प्रभावी प्रबंधन -ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता स्तर में सुधार -गांवों को स्वच्छ, हरा-भरा और स्वस्थ बनाना – व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना -लोगों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना
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