मधुबनी.
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार इस बार 9 अगस्त को मनाया जाएगा. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधेगी. उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करेगी. ज्योतिषियों की मानें तो लंबे समय बाद इस बार रक्षाबंधन पर दुर्लभ महासंयोग बन रहा है. ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग, राखी बांधने का समय लगभग समान है. माना जाता है कि इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा. ब्रह्मा और विष्णु भगवान को साक्षी मानकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. खास बात यह है कि भद्रा नहीं होने के कारण राहु काल को छोड़कर पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी. सुपौल जिला के सुखपुर निवासी पंडित सुरेश झा ने बताया कि 8 अगस्त को दोपहर 2.14 से 9 अगस्त को दोपहर 1.25 बजे तक पूर्णिमा तिथि है.शुभ कार्य के लिए सूर्योदय की तिथि होती है मान्य
रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा. इस बार रक्षाबंधन वाले दिन दुर्लभ ग्रहों का योग भी बन रहा है. इस दिन श्रवण नक्षत्र होने के साथ-साथ चंद्रमा मकर राशि में रहेगा. इस दिन शनिवार है. मकर राशि और शनिवार का स्वामी शनि है. श्रवण नक्षत्र का अधिपति ब्रह्मा जी है. इस कारण इस बार रक्षा बंधन का पर्व ब्रह्मा और विष्णु भगवान को साक्षी मानकर मनाया जाएगा. सूर्य कर्क, चंद्रमा मकर, मंगल कन्या, बुध कर्क, गुरु और शुक्र मिथुन, राहू कुंभ और केतु सिंह राशि में रहेगा. इस दिन सुबह 9 से 10.30 बजे तक राहु काल है. इस बार रक्षा बंधन वाले दिन भद्रा नहीं होने के कारण राहु काल को छोड़कर पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी.क्या है रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्तपंचांग के अनुसार इस बार 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी. वहीं 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी, हालांकि 8 अगस्त को भद्रा दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से 9 अगस्त को देर रात 1 बजकर 52 मिनट तक है. यही वजह है कि 8 अगस्त के बदले 9 अगस्त को राखी का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि भद्रा के धरती पर रहने के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की थी रक्षामान्यता है कि सुदर्शन चक्र से भगवान कृष्ण की अंगुली कट गई थी. यह देख द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की अंगुली पर बांध दिया. भगवान कृष्ण उनके इस भाव से इतने अधिक प्रभावित हुए उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन दिया. भगवान कृष्ण ने यह वादा तब पूरा किया जब द्रौपदी ने हस्तिनापुर के दरबार में सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा था.दुर्लभ संयोग बनाएंगे पर्व को विशेषइस बार रक्षाबंधन पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पर्व को और भी शुभ बना रही है. पूर्णिमा तिथि शनिवार को पड़ेगी और श्रवण नक्षत्र रहेगा. इस दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे. मकर राशि और शनिवार दोनों के स्वामी शनि देव हैं. श्रवण नक्षत्र के अधिपति भगवान विष्णु हैं. साथ ही सौभाग्य योग भी रहेगा, जो ब्रह्माजी के अधीन है. इस प्रकार यह रक्षाबंधन ब्रह्मा और विष्णु की साक्षी में मनाया जाएगा, जो इसे अत्यंत पावन बनाता है.
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