मधुबनी.
जिले के सरकारी व निजी कार्यालयों में कार्य करने वाली महिला कर्मियों के उत्पीड़न को रोकने एवं इसके निवारण के उद्देश्य से कार्यालयों में एक आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने तैयारी भी शुरू कर दी है. आंतरिक समिति का गठन वैसे सरकारी कार्यालय, निजी उपक्रम, प्रतिष्ठान व संस्थानों में किया जाएगा. जहां 10 व इससे अधिक लोग कर्मी के रूप में कार्य कर रहे है. बता दें कि कई बार कार्यालयों में काम करने वाली महिला कर्मियों के उत्पीड़न की शिकायत मिलती है. अब इसे रोकने के लिए सभी कार्यालयों में आंतरिक समिति का गठन किया जाना है. इसके लिए जिलाधिकारी आनंद शर्मा के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास निगम ने सभी कार्यालयों के वरीय पदाधिकारियों को पत्र भेजकर समिति का गठन कर रिपोर्ट भेजने को कहा है. ताकि महिला कर्मियों को कार्य स्थल पर सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिल सकेगा.कार्यरत वरीय महिला अधिकारी होंगी समिति की अध्यक्ष
जिले के सरकारी व निजी कार्यालयों में महिला उत्पीड़न रोकने के लिए बनाई जाने वाली आंतरिक समिति का अध्यक्ष कार्यालय में कार्यरत वरीय महिला अधिकारी होंगी. जिन कार्यालयों में महिला अधिकारी नहीं हैं, वहां वरिष्ठ पुरुष अधिकारी को अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इसके अलावा समिति में दो या उससे अधिक कर्मियों को सदस्य व एक बाह्य यानी गैर-सरकारी संगठन या महिला सशक्तिकरण से संबंधित विशेषज्ञ को शामिल किया जाएगा. समिति में शामिल सभी अध्यक्ष व सदस्यों का मोबाइल नंबर व ई-मेल आइडी भी देना होगा.सी-बाक्स पोर्टल पर अपलोड होगा आंतरिक समिति के अध्यक्ष व सदस्यों का डाटा
सरकारी, गैर सरकारी, प्रतिष्ठान व संस्थानों में गठित आंतरिक समिति में शामिल अध्यक्ष व सदस्यों का सभी आवश्यक डाटा महिला एवं बाल विकास विभाग के पोर्टल सी-बाक्स पर ऑनलाइन अपलोड होगा. इस संबंध में महिला एवं बाल विकास निगम के जिला परियोजना प्रबंधन हेमंत कुमार ने बताया कि सरकार ने महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिए सी-बाक्स पोर्टल की शुरुआत की है. यह एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है. जहां महिला कर्मचारी सीधे यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायत दर्ज करा सकती हैं.अर्ध सरकारी और निजी संस्थानों पर लागू होगा नियम
यह नियम सरकारी, अर्ध सरकारी और निजी संस्थानों पर लागू होगा. समिति नहीं बनाने वाले नियोक्ता पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. दूसरी बार नियम तोड़ने पर दोगुना जुर्माना देना होगा. यह नियम डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड एकाउंटेंट, इंजीनियर और बैंकर जैसे पेशेवरों के संगठनों पर भी लागू होगा. साथ ही विश्वविद्यालय, कॉलेज, प्रशिक्षण केंद्र, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी व निजी अस्पतालों को भी इसका पालन करना होगा. सभी कार्यालयों को आंतरिक शिकायत समिति के गठन की जानकारी और प्राप्त शिकायतों की रिपोर्ट जिला परियोजना प्रबंधन के ईमेल आईडी [email protected] एवं मोबाइल नंबर 8210115619 पर देनी होगी. यह कदम महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है.
क्यों पड़ी जरूरत
””यौन उत्पीड़न”” जिसे यौन प्रकृति वाला अनचाहा, अनुचित व्यवहार, जिसे, ””इव-टीजिंग”” (लड़की को छेड़ना) भी कहा जाता है. भारत की महिलाओं के लिए यौन उत्पीड़न कड़वा सच है. अधिकांश मामलों में कार्यस्थल पर महिलाओं को टारगेट कर यौन उत्पीड़न किया जाता है. जो कि उनकी इज्ज्त व मर्यादा का उल्लंघन करता है. इस कृत्य से उस व्यक्ति, संस्थान या समाज पर नकारात्मक असर पड़े. ऐसे व्यवहार पर रोक लगाने के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने की वैधानिक कदम उठाए गए हैं. 2012-13 में भारत ने इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए ””कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध व निवारण)”” अधिनियम 2013 पारित किया था.
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