मधुबनी. साहित्यिक मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन प्रो. जेपी सिंह के निदेशन व उदय जायसवाल के संयोजन व ज्योति रमण झा की अध्यक्षता में पूर्व सैन्य अधिकारी दयानंद झा के संचालन में हुई. समीक्षा डॉ. रामदयाल यादव ने किया. इस अवसर पर डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचना की प्रस्तुति दी. गोष्ठी की शुरुआत में सुभाष चंद्र झा सिनेही की पुस्तक आत्मानुराग के लोकार्पण से की गई. यायावर कवि बैद्यनाथ मिश्र यात्री को समर्पित इस गोष्ठी की शुरुआत विभा झा विभासित की रचना वक्त की है. तमन्ना सफर में रफ्तार हो. अवसर पर डॉ. विनय विश्वबंधु कथनी और करनी में तालमेल, अनुपम झा ने कहा कि सुख और दुःख कभी कहकर नहीं आते, अचानक महसूस होता हैं. अजीत आजाद की रचना पेन ड्राइव में पृथ्वी, ने तो सभी को स्तब्ध कर मानो पृथ्वी में समाहित सभी दृश्य-परिदृश्य से अवगत कराया. ज्योति रमण झा क्या समय आया हैं विश्व युद्ध में डूबा हैं. कवि गोष्ठी में कवि रामदत्त यादव, शिवनारायण साह, ऋषिदेव सिंह, चंदेश्वर खां, राजेश पांडेय, डॉ. रामदयाल यादव, अनामिका चौधरी, भोलानंद झा, प्रो. जेपी. सिंह ””””मन जला तो जिंदगी भर तन जलेगा कुछ क्षणों में, सुभाष चंद्र झा सिनेही ””””ढूंढते-ढूंढते”””” सबका ध्यान आकृष्ट किया. गजलकार राणा ब्रजेश ने कुछ तो देना था मुझे भी जिंदगी तुझको खूब वाहवाही लूटी. सुखदेव राउत सांच-झूठ, डॉ. विभा कुमारी, दयानंद झा, संदीप श्रीवास्तव, प्रो. संदीप एवं विंदेश्वर विवेकी ने प्रस्तुति दी. अध्यक्षीय उद्बोधन में ज्योति रमण झा ने कहा कि स्वचालित कवि गोष्ठी साहित्यिक इतिहास में अपने विस्तार को हमेशा अग्रसर रहा हैं. अनुपम झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
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