स्वरोजगार के लिए जीविका से कराया जा रहा ऋण उपलब्ध महिलाओं को कौशल विकास के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण मधुबनी . ग्रामीण महिलाओं की बीच गरीबी दूर करने में ग्रामीण विकास प्रोत्साहन इकाई जीविका बड़ी भूमिका निभा रहा है. परियोजना से ऋण मुहैया कराना और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने से ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित भी हो रही है. इतना ही नहीं स्वरोजगार के लिए ना केवल धन मुहैया कराना बल्कि उसके समुचित कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है. कर्ज मिलने से स्थानीय महाजन के चंगुल से भी महिलाओं को मुक्ति मिल रही है. आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की दिशा में यह प्रयास मिल का पत्थर साबित हो रहा है. जिले में 45 हजार स्वयं सहायता समूह गठित हो चुके हैं. इसमें छह लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इसी से महिलाएं आर्थिक क्रिया कलापों के माध्यम से स्वावलंबी बन रही हैं. स्वरोजगार के माध्यम से ना केवल पारिवारिक और सामाजिक स्थिति बदल रही है बल्कि परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भरता भी कम हो रही है. समूह की महिलाएं सदर अस्पताल एवं अनुमंडलीय अस्पताल में इंडोर और आउटडोर मरीजों के लिए कैंटीन का संचालन कर रही है. पिछले कई वर्षों से यहां पर महिलाएं सफलता पूर्वक कैंटीन का संचालन कर रही है. तीन सौ से अधिक भर्ती मरीजों को तीनों समय का भोजन, नाश्ता और चाय प्रदान करती हैं. दूध उत्पादन, परंपरागत खेती और सब्जी उत्पादन कर रुपये कमा रही हैं. फल व सब्जी की दुकान भी इसमें शामिल हैं. राखी और मास्क बनाकर भी महिलाओं ने स्वरोजगार के क्षेत्र में काफी उपलब्धि हासिल की है. सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत अत्यंत गरीब परिवारों को जीविका परियोजना के ग्राम संगठनों ने व्यावसायिक गतिविधियां प्रारंभ किया. पंचायत स्तर पर ग्राम संगठनों के सहायता से ऐसे परिवारों को इस योजना के अंतर्गत चिन्हित किया जा रहा है. जिसमें सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत जीविका के महिला ग्राम संगठन के सहयोग से किराना दुकान, सब्जी दुकान, फेरीवाला, रेडीमेड दुकान प्रारंभ किया है.
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