मधुबनी. हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार गुरु पूर्णिमा गुरुवार को मनाया जायेगा. पूर्णिमा तिथि बुधवार की रात 1 बजकर 36 मिनट पर शुरु होगी और यह गुरुवार को रात 2 बजकर 6 मिनट पर खत्म होगी. इसलिए गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लगभग 3000 ई. पूर्व, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. महर्षि वेद व्यास का जन्मोत्सव इसी दिन मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु पूर्णिमा इस बार विशेष महत्व रखती है. कई दशकों बाद इस वार गुरुवार को गुरु पूर्णिमा है, और इस दिन इंद्र योग और वैधृति योग भी बन रहा है. गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है. इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं. इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. साथ ही कुछ राशियों के लिए यह दिन शुभ साबित होने वाला है. गुरु पूर्णिमा का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन, शिष्य अपने गुरुओं (शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु, या कोई भी व्यक्ति जिन्होंने जीवन में मार्गदर्शन दिया हो) का आशीर्वाद लेते हैं और उनका सम्मान करते हैं. यह पर्व ज्ञान, बुद्धि और मार्गदर्शन का उत्सव है. इस बार गुरु पूर्णिमा और गुरुवार का अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहा है. गुरुवार के स्वामी गुरु देव बृहस्पति हैं, और पूर्णिमा तिथि स्वयं गुरु को समर्पित होती है. इस संयोग में गुरु की कृपा कई गुना बढ़ जाती है. पूर्णिमा पर अपने गुरु, माता-पिता और आचार्य को प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद लें ऐसा करना बहुत फलदायी होता है.
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