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Madhubani News : एक सप्ताह में आइसीयू सेवा होगी क्रियाशील, गंभीर मरीजों को रेफर से मिलेगी निजात

स्वास्थ्य विभाग लोगों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दृढ़संकल्पित है.

मधुबनी.

स्वास्थ्य विभाग लोगों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दृढ़संकल्पित है. जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है. सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक सप्ताह में मॉडल सदर अस्पताल के प्रथम तल पर स्थित आइसीयू सेवा को शुरू कर दी जाएगी. इसके बाद गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों को रेफर से भी निजात मिलेगी. सीएस ने कहा कि आइसीयू को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने की तैयारी अंतिम चरण में है. 6 बेड का आइसीयू 24 घंटे संचालित होगा. इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों, जीएनएम एवं पारा मेडिकल स्टाफ का रोस्टर तैयार कर लिया गया है. 11 जून को डीएम आंनद शर्मा ने मॉडल अस्पताल का निरीक्षण किया था. डीएम ने आइसीयू सेवा को जल्द शुरू करने का निर्देश दिया था. मॉडल सदर अस्पताल में आइसीयू सेवा की क्रियाशीलता की सुविधा बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. आइसीयू के अभाव में गंभीर मरीजों को रेफर करने से मुक्ति मिलेगी.

आइसीयू के अभाव में मरीजों को होती परेशानी

आइसीयू के अभाव में मरीजों को काफी परेशानी होती है. खासकर शल्य चिकित्सा के मरीजों को काफी दिक्कत हो रही थी. आईसीयू के अभाव में गंभीर मरीजों को हायर संस्थान रेफर कर दिया जाता था. कई मामलों में मरीज को हायर सेंटर जाने के क्रम में रास्ते में ही मौत हो जाती थी. सिविल सर्जन ने कहा कि आइसीयू सेवा शुरू होने से मरीजों को सभी प्रकार की सुविधा एक छत के नीचे ही उपलब्ध होगा. विभाग द्वारा दो चरणों में 11 विशेषज्ञ चिकित्सकों को सदर अस्पताल में पदस्थापित किया गया है. आइसीयू में सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गयी है.

ऑपरेशन में होती थी परेशानी

मॉडल हॉस्पिटल में आईसीयू सेवा शुरू नहीं रहने की वजह से कई गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता था. मजबूरन ऐसे मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता था. जहां हजारों रुपये खर्च हो जाते थे. सदर अस्पताल में सर्जन एवं एनेस्थीसिया भी है. लेकिन कई ऐसे ऑपरेशन है, इसमें मरीज को स्टेबल करने के लिए आईसीयू की जरूरत पड़ती है. आइसीयू सेवा शुरू नहीं रहने की वजह से मरीज का ऑपरेशन नहीं होता था. खासकर शुगर एवं बीपी से प्रभावित मरीजों की छोटी मोटी सर्जरी के लिए करने से डॉक्टर हिचकिचाते थे, लेकिन अब इस समस्या पर विराम लगेगा.

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