मधुबनी . अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय किराए के मकान में संचालित होगा. इसके लिए मकान की तलाश की जा रही है. किराए का मकान नहीं मिल सका है. किराए का मकान ऐसा हो जहां 280 छात्र-छात्रा पढ़ाई कर सके. नौ वीं एवं 11 वीं कला व विज्ञान संकाय के संचालन के लिए सरकारी भवन के निर्माण कार्य पूरी होने तक भवन की जरूरत है. जहां बच्चे नामांकित होंगे. किराए का मकान ऐसा होना चाहिए जहां वर्ग कक्ष, प्रधानाचार्य कक्ष, स्टाफ कक्ष, पुस्तकालय कक्ष, प्रयोगशाला कक्ष, छात्र-छात्राओं के लिए आवासन की व्यवस्था, डाइनिंग हॉल, किचेन सहित अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध हो सके. किराए के मकान के लिए विभाग द्वारा निविदा भी निकाला गया है. किराए पर मकान मिलते ही विद्यालय का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. विदित हो कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य निर्माण के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रखी है. अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा दिला कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में छात्र-छात्राओं के रहने एवं खाने की भी व्यवस्था होगी. इससे अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को नई जिंदगी की शुरुआत करने में मदद मिलेगी. अनुमोदित दर पर लिया जाएगा मकान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग इसके लिए किराए पर भवन लेने के लिए आवेदन मांगे है. जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक निदेशक हेमंत कुमार ने बताया कि मधुबनी जिला मुख्यालय पर शहर में स्थित भवन अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय के लिए राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित दरों पर (अनुबंध के आधार पर) किराए पर लिया जाना है. पर्याप्त व्यवस्था वाले उपयुक्त भवन के भवन मालिकों से किराये पर भवन देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. संबंधित भवन मालिक भवन के मालिकाना दस्तावेज, रजिस्ट्री, ब्ल्यू प्रिंट, भवन की फोटो आदि सहित कार्यालय समय में जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में उपस्थित होकर आवश्यक जानकारी व आगामी होने वाली कार्यवाही की जानकारी हासिल कर सकते हैं. अल्पसंख्यक युवाओं को शिक्षा से जोड़ने का हो रहा प्रयास सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं की तालीम को लेकर काफी संवेदनशील हैं. अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय एवं बहुद्देशीय भवन उनका ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हैं. जिलों में किराए की मकान लेकर आवासीय विद्यालय संचालित करने की योजना है. सरकार का मानना है कि अल्पसंख्यकों में तालीम की कमी है. युवा तालीम से दूर हैं. इसलिए युवाओं को बेहतर शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकारी मदरसे को स्कूल की तर्ज पर आधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है. कमजोर विद्यार्थियों को दी जाएगी प्राथमिकता विद्यार्थियों को इस आवासीय स्कूल में नामांकन के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछें जाएंगे. नामांकित छात्रों को मुफ्त में शिक्षा, रहने खाने-पीने, कपड़ा के अलावा अन्य सुविधाएं दी जाएगीं. शैक्षिक परियोजना से न केवल अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी) के छात्रों को फायदा मिलेगा. बल्कि यह क्षेत्र के समग्र शैक्षिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी.
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