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Madhubani News : मॉडल सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को नहीं मिल रही बेहतर सुविधा

सदर अस्पताल में मरीजों को 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के दावे की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

मधुबनी.

सदर अस्पताल में मरीजों को 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के दावे की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मॉडल सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ भगवान भरोसे छोड़ देते हैं. मरीजों को न तो सभी दवा उपलब्ध करायी जा रही है और न ही जरूरी जांच की सुविधा. ऐसे में मरीजों को अपने पैसे से बाहर से दवा खरीदना पड़ रहा है. विदित हो कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज का राग अलापा जाता है. रविवार को माडल अस्पताल के महिला मेडिकल वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों की आपबीती ने स्वास्थ्य विभाग के दावे की पोल खोल दी है.

मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा

भर्ती मरीज व उनके परिजनों ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर जो दवा लिखकर देते है उसमें से 25-30 प्रतिशत दवा ही अस्पताल से उपलब्ध कराया जाता है. अधिकांश महंगी दवा परिजनों को खुद खरीदना पड़ता है. नाहर भगवतीपुर निवासी सुमित्रा देवी बीपी एवं गैस की समस्या के कारण 8 दिनों से भर्ती थी. सुमित्रा देवी के पति ने बताया कि इस दौरान 5-7 हजार रुपये की दवा बाहर से खरीदना पड़ा है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे में एक बार डॉक्टर आते हैं. स्टाफ नर्स से कुछ कहने पर वह ध्यान ही नहीं देती है. रविवार को बुखार से बेसुध सुमित्रा देवी का बुखार मापने के लिए कोई भी स्टाफ नर्स नहीं आयी. इसके बाद उनकी पुत्री ने कही से थर्मामीटर लाकर बुखार माप कर स्टाफ नर्स को दिखाया. नर्स ने पुत्री को ही दवा देकर बोली जाकर खिला दो. लेकिन मरीज को देखने की जहमत नहीं उठाई. अरेर निवासी सरस्वती देवी ने कहा कि उसकी पुत्री 6 दिनों से भर्ती हैं. शनिवार को ब्लड एवं ईसीजी की जांच बाहर से कराना पड़ा. सरस्वती देवी ने कहा कि स्टाफ नर्स द्वारा सुबह में ही इंजेक्शन लोड कर बेड पर स्टाफ नर्स द्वारा रख दिया गया. लेकिन 11 बजे तक इंजेक्शन मरीज को नहीं दिया गया था. उन्होंने कहा कि जांच के इतर दवा भी बाहर से खरीदना पड़ा है. अभी तक डॉक्टर भी देखने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि गरीब इस भरोसे सरकारी अस्पताल में आते हैं कि उसे सभी इलाज मुफ्त मिलेगा. लेकिन यहां की स्थिति कुछ और ही है. खुटौना निवासी रामनारायण राम ने कहा कि शनिवार को अपने मरीज को लेकर सदर अस्पताल आए. उसे बुखार व कंपन की शिकायत थी. नर्स को जब बताया तो उसने कहा कि सुबह में डॉक्टर देखेंगे. ज्यादा परेशानी है तो डीएमसीएच रेफर करा लो. उन्होंने कहा कि 11 बजे रात में हम अपने मरीज को कहां लेकर जाते. भौआड़ा निवासी रहमान ने कहा कि डायरिया से पीड़ित बच्ची को इलाज कराने लाया था. पूरी तरह ठीक हुए डॉक्टर डिस्चार्ज कर दिया. घर जाने पर उसे उल्टी हुई. फिर अस्पताल लेकर आए लेकिन कोई देखने के लिए अभी तक नहीं आया है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की कवायद सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है.

सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकारी अस्पताल की डिस्पेंसरी में समय-समय पर दवा का स्टॉक चेक किया जाता है. यदि मरीजों को कुछ दवा नहीं मिल रही है तो जल्द ही दवाओं का स्टाॅक डिस्पेंसरी में उपलब्ध करा दी जाएगी, ताकि मरीजों को अस्पताल से दवा मिल सके.

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