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Madhubani News : मानव तस्करी की शिकार महिलाओं के लिए खुलेगा शक्ति सदन

मानव तस्करी की शिकार महिलाओं के लिए अब शक्ति सदन खोला जाएगा. यह शक्ति सदन राहत और पुनर्वास केंद्र की तरह काम करेगा.

मधुबनी.

मानव तस्करी की शिकार महिलाओं के लिए अब शक्ति सदन खोला जाएगा. यह शक्ति सदन राहत और पुनर्वास केंद्र की तरह काम करेगा. इसमें मानव तस्करी की शिकार हर उम्र की महिलाओं को रखा जाएगा. शक्ति सदन में तीन वर्ष तक रखने की व्यवस्था होगी. विशेष परिस्थिति में इसे बढ़ाया जाएगा. 55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को पांच वर्षों तक रखा जा सकता है. उसके बाद उन्हें वृद्धाश्रम में स्थानांतरित किया जाएगा. विदित हो कि स्वाधार गृह और उज्ज्वल योजनाओं का समायोजन कर अब शक्ति सदन बनाया गया है. इसमें मानव तस्करी और संकटग्रस्त महिलाओं के रहने की व्यवस्था होगी. हर शक्ति सदन में सौ से अधिक बच्चियों और महिलाओं के रहने की व्यवस्था होगी.

शक्ति सदन में बहाली के लिए बनाई जा रही कार्य योजना

शक्ति सदन के लिए जिले में सरकारी जगह की कमी होगी तो वहां पर किराये के मकान लेकर इसे शुरू किया जाएगा. एक शक्ति सदन में एक रेजिडेंसियल सुप्रीटेंडेंट, एक ऑफिस असिस्टेंट, तीन मल्टी पर्सस स्टॉप, दो रसोइया और तीन रात्रि प्रहरी होंगे. नियुक्ति प्रक्रिया के लिए महिला एवं बाल विकास निगम कार्ययोजना तैयार कर रहा है.

प्रत्येक महिला को हर महीने मिलेगा पांच सौ रुपये

प्रत्येक पीड़ित महिला के नाम से बैंक खाता खोला जाएगा. इसमें प्रति माह पांच सौ रुपये जमा किये जाएंगे. यह राशि महिला शक्ति सदन में रहने के दौरान नहीं निकाल पाएंगी. सभी महिलाओं को पीएम जीवन ज्योति बीमा और पीएम सुरक्षा बीमा योजना से जोड़ा जाएगा. इन दोनों योजना के प्रीमियम के लिए इस राशि का उपयोग कर सकती हैं.

तीन महीने पर तैयार होगी रिपोर्ट

शक्ति सदन का संचालन सही से हो रहा है या नहीं इसके लिए निगम की ओर से निगरानी कमेटी गठित की जाएगी. निगरानी कमेटी हर तीन महीने पर शक्ति सदन का रिपोर्ट तैयार करेगी. इस रिपोर्ट को निगम की ओर से संबंधित जिला प्रशासन को भेजा जाएगा. जिसमें निगम की ओर से जरूरत के अनुसार सुझाव दिये जाएंगे.

यह सुविधा होगी उपलब्ध

महिला एंव बाल विकास निगम के जिला प्रबंधक हेमंत कुमार ने कहा कि शक्ति सदन में सहायता और भोजन, वस्त्र, प्राथमिक उपचार और प्रतिदिन जरूरत की चीजें उपलब्ध होंगी. शिक्षा और कौशल-बच्चियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे वे आत्मनिर्भर हो सकें. इसके अलावा कौशल विकास कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा. पुनर्वास और पुन: स्थापना – बच्चियों या महिलाओं को उनके परिवार से मिलाया जाएगा. जिनका परिवार से मिलन नहीं हो पाएगा उन्हें ऐसी जगह पर पुनर्वास किया जाएगा जहां वह स्वतंत्र जीवन व्यतित कर सकती हैं. मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता-वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से परामर्शदाता की ओर से मानसिक और सामाजिक परामर्श प्रदान की जाएगी. इसके अलावा कानूनी सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सुविधा दी जाएगी.

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