मधुबनी.
सरकारी एवं निजी विद्यालयों की छात्राओं को एचपीवी टीकाकरण एवं सभी बच्चों की आंख जांच में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चलंत चिकित्सा दलों को सहयोग करने के लिए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी निर्देश में आरबीएसके चलंत चिकित्सा दलों को विद्यालयों का माइक्रो प्लान इस प्रकार बनाने का निर्देश दिया है. ताकि बच्चों का स्वास्थ्य जांच, बालिकाओं का एचपीवी टीकाकरण एवं राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण के तहत आंखों की जांच एक ही विद्यालयों में हो सके. इस संबंध में राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एवं जिला प्रतिरक्षण को समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने सरकारी एवं निजी विद्यालयों में एचपीवी टीकाकरण के लिए विशेष सत्र का आयोजन करने का निर्देश दिया है.बच्चियों को दिया जाएगा एचपीवी टीका
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर भारत की महिलाओं में दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है. हालांकि विश्व में भारत चौथे स्थान पर है. भारत में इसके दर को कम करने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता है. क्योंकि यह एक ऐसा कैंसर है जिसे एचपीवी टीकाकरण एवं नियमित जांच से रोका जा सकता है. इसके लिए मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत जिले के सरकारी एवं निजी विद्यालयों की 9 से 14 आयु की स्कूली बच्चियों को ह्यूमन पेपीलोमा वायरस से टीकाकृत किया जा रहा है. एचपीवी टीका गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और अन्य एचपीवी से संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए दिया जाता है. यह टीका 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चियों को दिया जाता है. आरबीएसके की टीम विद्यालयों में एचपीवी टीकाकरण कार्यक्रम में सहयोग करके बच्चों को इस महत्वपूर्ण टीके के बारे में जागरूक करेगी और टीकाकरण में मदद करेगी.आंखों की जांच बच्चों के समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. आरबीएसके की टीम विद्यालयों में बच्चों की आंखों की जांच करके दृष्टि समस्याओं का पता लगाने और आवश्यक उपचार या संदर्भ प्रदान करने में मदद करेगा. इस पहल के माध्यम से, आरबीएसके की टीम विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उनकी समग्र स्वास्थ्य देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान देगा. सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य कार्यक्रम में के निर्देश के आलोक में एसीएमओ सह नोडल पदाधिकारी आरबीएसके को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम को शत-प्रतिशत अनुपालन करने का निर्देश दिया है. ताकि छात्र एवं छात्राओं को के स्वास्थ्य का समग्र मूल्यांकन किया जा सके.
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