मधुबनी . जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान के शत-प्रतिशत अनुपालन करने में अब आरएचपी से सहयोग लिया जाएगा. इसके लिए सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेनीपट्टी में 15 रूरल हेल्थ प्रैक्टिसनर को प्रशिक्षण दिया गया. बैठक में आरएचपी को कालाजार नियंत्रणार्थ सर्विलांस को सशक्त करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण में कालाजार के लक्षण, संभावित पीकेडीएल की पहचान, जांच, इलाज, बचाव एवं घर-घर कालाजार नियंत्रणार्थ कीटनाशक दवा का छिड़काव के बारे मे विस्तार से जानकारी दी गई. विदित हो कि जिला कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया. शून्य कालाजार की ओर बढ़ रहा है. प्रशिक्षण मे 14 दिनों से अधिक समय तक बुखार रहने वाले मरीजों पर नजर रखने, सामान्य इलाज एंटीबायोटिक या मलेरिया रोधी दवाओं से बुखार ठीक नहीं होने पर कालाजार की जांच कराने, धनात्मक रिपोर्ट आने पर शीघ्र “एकल खुराक एम्बीजोम” से इलाज कराने का प्रशिक्षण दिया गया. 2 वर्ष पहले या उससे पहले कालाजार के इलाज किए गए मरीजों में पीकेडीएल की पहचान के बारे में जानकारी दी गई. कालाजार के अलावा डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, फाइलेरिया तथा मस्तिष्क ज्वर के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. रोगी को मिलता है आर्थिक सहायता कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में आर्थिक सहायता दी जाती है. बीमार व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा 6600 रुपये और केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपये दिये जाते है. यह राशि ब्लड रिलेटेड कालाजार रोगी को दी जाती है. वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार पीकेडीएल मरीजों को केंद्र सरकार द्वारा 4000 रुपये दी जाती है. कालाजार के लक्षण लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना. वजन में लगातार कमी होना. दुर्बलता. मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना. व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है. प्लीहा में नुकसान होता है. प्रशिक्षण में एमओआईसी डॉ. पी झा, वेक्टर रोग नियंत्रण अधिकारी पुरुषोत्तम कुमार, डिंपू पाण्डेय, अमर कुमार, बीएचएम सुशील कुमार पासवान, बीसीएम रेखा झा, वीबीडीएस शत्रुघन कुमार, पीरामल फाउंडेशन के कुश कुमार, विवेक कुमार सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.
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