मधुबनी . जिला में बेरोकटोक, वाहनों में प्रेशर हार्न का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि नियमित जांच के दौरान हेलमेट पहनने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है. लेकिन बाइक चालक अस्पतालों व विद्यालयों के पास से प्रेशर हार्न बजाते हुए वाहन गुजारते हैं. इसके अलावा बस, ट्रक एवं ऑटो रिक्शा तक में धड़ल्ले से प्रेशर हार्न का इस्तेमाल किया जा रहा है. खासकर बाइक के प्रेशर हार्न की वजह से अस्पतालों के मरीजों के दिलों की धड़कन बढ़ा दे रहा हैं. वहीं इसके कारण विद्यालय समय के दौरान छात्रों का ध्यान भंग हो जाता है. इसका असर उनकी पढ़ाई लिखाई पर पड़ता है. विदित हो कि हाई डेसीबल स्तर वाले प्रेशर हार्न से अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज में कठिनाई के साथ-साथ उन्हें सोने में भी परेशानी होती है.
तेज आवाज से मानसिक तनाव
प्रेशर हार्न बहुत तेज और तीखी ध्वनि उत्पन्न करते हैं. इसमें ध्वनि प्रदूषण होता है. इससे न केवल व्यक्ति के कानों को नुकसान पहुंच सकता है बल्कि मानसिक तनाव, सर दर्द और नींद की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है. विदित हो कि ध्वनि के संपर्क में आने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है और कभी-कभी बहरेपन की समस्याएं भी हो सकती है. प्रेशर हार्न की उच्च स्तर की ध्वनि दिल की धड़कन, रक्तचाप और तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है. वही प्रेशर हॉर्न के उपयोग से सड़क पर भ्रम और असुविधा उत्पन्न होती है. यह विशेष रूप से आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों और अस्पतालों के आसपास परेशानी का कारण बनते जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला परिवहन पदाधिकारी शशि शेखरम ने कहा कि वाहनों में प्रेशर हार्न का इस्तेमाल ट्रैफिक नियमों के विरुद्ध है. ऐसे वाहन चालकों के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी. सदर अस्पताल के ईएनटी चिकित्सक डॉ. राजकुमार पाठक ने कहा कि हाई डेसीबल स्तर वाले प्रेशर हार्न की वजह से कान और दिल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे मानसिक तनाव व नींद नहीं आने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होने की संभावना रहती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है