Motihari: रक्सौल .पानी का महत्व क्या होता है, सीमाई इलाके की जनता समझ चुकी है. एक बूंद पानी के लिए लोग आज परेशान है. खेती के लिए किसान परेशान है तो दैनिक दिनचर्या के लिए की जरूरत के लिए लोग परेशान है. जल संकट के बीच सबकी निगाहे आसमान की तरफ है. किसानों को उम्मीद है कि पानी होगी तो खेती को लाभ मिलेगा और लोग यह सोच रहे है कि बारिश होने के साथ ही पानी का लेयर जो नीचे चला गया है, वह ठीक हो जाएगा. यज्ञ, पूजन-हवन के बाद लोग टोटका भी कर रहे है कि बारिश हो, लेकिन मौसम मेहरबान होता दिखायी नहीं दे रहा है. स्थिति यह है कि धीरे-धीरे रक्सौल व इसके आसपास के इलाके में 90 प्रतिशत से अधिक चापाकल सुख चुके है. समरसेबल बोरिंग का सहारा है जो हर किसी के बजट में फीट नहीं बैठ रहा है. नगर परिषद के द्वारा टैंकर के माध्यम से आपूर्ति करायी जा रही है, लेकिन वह जरूरत के हिसाब से काफी कम है. समरसेबल बोरिंग भी जो हुआ है, वह लोगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहा है. इस बीच शहर के वार्ड नंबर 19 के पार्षद सोनू कुमार गुप्ता के द्वारा अपने प्राइवेट फंड से टैंकर की व्यवस्था कर लोगों को पानी की सप्लाई की जा रही है. नगर परिषद के पास जो टैंक है, उनको रोटेशन के हिसाब से वार्ड में पानी वितरण को लेकर घुमाया जा रहा है. इसके अलावे समरसेबल बोरिंग को लेकर कार्यपालक पदाधिकारी डॉ. मनीष कुमार के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिया गया है, पार्षदों की डिमांड और लोगों की आवश्यकता को देखते हुए बोरिंग को घर-घर पाइप का कनेक्शन देकर करना है.
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