Motihari: मोतिहारी. जून की चिलचिलाती धूप हो या उमस भरी गर्मी, मोतिहारी के गांधी मैदान में कुछ छोटे-छोटे चेहरे ऐसे हैं जो हर दिन क्रिकेट के मैदान में पसीना बहा रहे हैं. उम्र महज़ 5 से 10 साल, लेकिन जोश ऐसा जैसे इन्हीं में से कोई अगला विराट कोहली या रोहित शर्मा बन कर निकलेगा. इन बच्चों के हौसले को देखकर यही लगता है कि बिहार में अब खेल सिर्फ़ शौक नहीं, सपना बनता जा रहा है और मोतिहारी उसका एक मजबूत केंद्र.
इन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं फैजल गनी, जो स्वयं बिहार स्तर के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी हैं. उन्होंने बताया कि, “बच्चे क्रिकेट को लेकर बेहद अनुशासित और समर्पित हैं. हम भी उन्हें हर छोटी-बड़ी टेक्निक सिखा रहे हैं, ताकि आने वाले 3-4 वर्षों में ये जिला और राज्य स्तर पर चमकें.” फैजल की एकेडमी से कई खिलाड़ी राज्य स्तर तक पहुंच चुके हैं और बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.वैभव सूर्यवंशी जैसे रोल मॉडल से प्रेरणा
बच्चों की आंखों में स्थानीय खिलाड़ी वैभव सूर्यवंशी की तरह बनने की चमक है. वे भी इसी मिट्टी से निकलकर बिहार क्रिकेट की पहचान बने हैं. आज यही प्रेरणा बन रही है नन्हे खिलाड़ियों की मेहनत की वजह.
-बच्चों और अभिभावकों की भावनाएं
7 साल के कार्तिक कुमार और 6 साल के आध्विक बताते हैं कि वे अपने पापा के साथ अभ्यास के लिए आते हैं और शाम को पापा ही घर ले जाते हैं. वहीं, एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चे को हर हाल में आगे बढ़ते देखना चाहते हैं. खेल से उसका शारीरिक और मानसिक विकास होता है, और वह मोबाइल जैसे व्यसनों से दूर रहता है.”–
कोच के भाई है सकिबुल गनी
बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण दे रहे फैजल गनी ने बताया कि हमने अपने भाई सकिबुल गनी को प्रशिक्षण दिया था. जो महज 22 वर्ष की उम्र में मोतिहारी का रहने वाला लड़का रणजी ट्रफी में 341 रनों की पारी खेल विश्व रिकॉर्ड बनाया. वह डेब्यू प्रथम श्रेणी मैच में तिहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए है. 405 गेंदों की अपनी पारी में गनी ने 56 चौके और 2 छक्के लगाए. उनकी इस पारी की मदद से बिहार ने 5 विकेट पर 686 रन के स्कोर पर अपनी पारी घोषित की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है